कुछ दिन पहले जिस तरह महाराष्ट्र में एक कोरोना संक्रमित महिला का शव आठ दिन बाद अस्पताल के शौचालय से बरामद हुआ था, राजधानी देहरादून में शुक्रवार को बालावाला स्थित एक क्वारंटीन सेंटर में युवक का बदबू मार रहा शव मिला था। अंदेशा जताया गया है कि उसकी मौत एक-दो दिन पहले ही हो चुकी थी। बताया जा रहा कि उसने आत्महत्या की है।
इस घटना से क्वारंटाइन सेंटरों में सुरक्षा और जांच के मानकों पर भी सवाल उठने लगे हैं। शनिवार को जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस संबंध में जानकारी प्राप्त की और संबंधित नोडल अधिकारी और डॉक्टर को निलंबित करने के आदेश दिए।
उसके बाद आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने दो डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। निलंबित चिकित्सक हैं क्वारंटीन सेंटर में नोडल अधिकारी डॉ. नवीन जोशी और डॉ. जसप्रीत। शासन ने डॉ. जोशी के खिलाफ विभागीय जांच आयुर्वेद निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ. वाईएस रावत को सौंप दी है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जसप्रीत की जांच आयुर्वेद विश्वविद्यालय, गुरुकुल परिसर हरिद्वार के प्रोफेसर पंकज कुमार शर्मा को सौंपी है।
दोनों डॉक्टरों को क्वारंटीन सेंटर में प्रथम दृष्ट्या घोर लापरवाही के लिए निलंबित किया गया है। विश्वविद्यालय ने निलंबन आदेश में स्पष्ट किया है कि दोनों डॉक्टरों को आरोप पत्र अलग से जारी किए जाएंगे। निलंबन अवधि में डॉ. जोशी कुलसचिव, उत्तराखंड विश्वविद्यालय देहरादून के कार्यालय तथा डॉ. जसप्रीत निदेशक, ऋषिकुल परिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हरिद्वार कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।