गोरापड़ाव (हल्द्वानी) निवासी सूबेदार यमुना प्रसाद पनेरू रेस्क्यू के दौरान पैर फिसलने से कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) में शहीद हो गए। घटना बीती रात की है। यमुना प्रसाद के शहीद होने की खबर लगते ही गांव में शोक की लहर फैल गई। शहीद यमुना अपने पीछे सात साल का बेटा यश और पांच साल की बेटी साक्षी, पत्नी, मां महेश्वरी देवी, बड़े भाई चंद्र प्रकाश पनेरू, छोटे भाई भुवन आदि को छोड़ गए हैं। यमुना पनेरू के पिता दयाकृष्ण पनेरू अब इस दुनिया में नहीं रहे।
बताया गया है कि यमुना प्रसाद बृहस्पतिवार रात कुपवाड़ा में बर्फ से ढकी चोटियों पर अपनी टीम को रेस्क्यू करते वक्त फिसलकर खाई में गिर गए। ग्रामसभा पदमपुर मीडार के तोक गालपाधूरा में पैदा हुए यमुना पनेरू 2001 में छह कुमाऊं में भर्ती हुए थे। उन्होंने 2012 में एवरेस्ट फतह भी की थी। वह नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश के भी सफर पर गए थे।
बताते हैं कि यमुना प्रसाद पनेरू माउंटेनिंग सिखाने के लिए वे कुछ समय दार्जिलिंग में भी रहे। वर्ष 2013/14 में वह भारतीय सेना की ओर से भूटान भी गए और वहां से आने के बाद जेसीओ का कमीशन निकालने के बाद हवलदार से सूबेदार बन गए। उनकी 8वीं तक की पढ़ाई उच्च प्राथमिक विद्यालय मीडार में हुई। उसके बाद 9वीं और 10वीं की पढ़ाई उन्होंने एसएमएसडी स्कूल कनखल से पूरी की। इंटर पास करने के बाद डीएवी देहरादून में बीएससी में दाखिला लिया। बीएससी प्रथम वर्ष करने के दौरान का चयन भारतीय सेना के लिए हो गया था।