आंध्र प्रदेश विधानसभा में पेश ‘आंध्र प्रदेश विकेन्द्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक’ 2020 के मुताबिक अमरावती को विधायी, विशाखापट्टनम को कार्यकारी और कुरनूल को न्यायिक राजधानी बनाया जाएगा. आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री बी राजेंद्रनाथ ने विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, सरकार राज्य को चार क्षेत्रों में बांटकर कर आंचलिक विकास शुरू करना चाहती है, जिसमें हर क्षेत्र में तीन-चार जिले होंगे ताकि संतुलित विकास सुनिश्चित किया जा सके. राजेंद्रनाथ ने विधानसभा में कहा, “हम आंचलिक विकास बोर्ड स्थापित करेंगे, जो विकास और तरक्की में तेजी लाने की सिफारिश करेगा.” उनके मुताबिक , “राजभवन और सचिवालय को विशाखापट्टनम ले जाया जाएगा.”
वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी राज्य में तीन राजधानी बनाकर विकास को विकेन्द्रीकृत करना चाहते हैं. आंध्र प्रदेश में विधानसभा में तीन दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया है. इसमें तीन राजधानियां बनाने की योजना को आकार देने संबंधी विधेयक पेश किया गया. विपक्ष सरकार के इस फॉर्मूले से सहमत नहीं है. मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने विशेष सत्र से पहले कैबिनेट की बैठक की और आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण पर सहमति दे दी गई. पूरे आंध्र प्रदेश में इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. आंध्र पुलिस का कहना है कि विजयवाड़ा, गुंटूर और अमरावती के अलावा राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के 57 नेताओं को नजरबंद कर रखा गया है. वहीं विजयवाड़ा, अमरावती, गुंटुर में करीब आठ हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने पत्रकारों से कहा, “पार्टी के नेताओं और अमरावती ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों की नजरबंदी बेहद गलत है. लोगों की आवाज को दबाना अलोकतांत्रिक है और संविधान के खिलाफ है. यहां तक कि इमरजेंसी का दौर भी इससे बेहतर था.” आलोचकों का कहना है कि 2015 में प्रदेश की राजधानी के तौर पर विकसित करने के लिए उस वक्त की सरकार ने कई समझौते किए थे और अब तीन-तीन राजधानी बनाना सिर्फ ध्यान भटकाने वाला काम है. आंध्र प्रदेश के पत्रकार मोहम्मद मुबशिरुद्दीन खुर्रम कहते हैं, “जो विकास संबंधी कार्य होने चाहिए थे वो नहीं हो रहे हैं. नई राजधानी के विकास के लिए लंबा वक्त और पैसे की जरूरत होगी. ऐसा लग रहा है तीन-तीन राजधानी सिर्फ दिखावे के लिए बनाई जा रही है, फायदा इससे कुछ नहीं होने वाला है. अलग-अलग राजधानी और जिलों में काम बंटने से कुछ लाभ नहीं मिलने वाला है. यह नया प्रयोग होने जा रहा जिसके विफल होने की पूरी संभावना है. “