उत्तराखंड में अब होम स्टे योजना को वेलनेस टूरिज्म से जोड़ने की तैयारी है। यहां की सुरम्य वादियों में होम स्टे आने वाले दिनों में बेहतर स्वास्थ्य का जरिया तो बनने जा रहे हैं। लॉकडाउन में इनका वर्क फ्रॉम होम के लिए इस्तेमाल होने वाला है।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के मुताबिक वेलनेस टूरिज्म को प्रमोट करने में होम स्टे में अच्छी संभावना है। इसे कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है, इस बारे में मंथन चल रहा है। इसके तहत होम स्टे या इसके पास वेलनेस के लिए योग-ध्यान केंद्र, पंचकर्म, स्पा जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस दृष्टिकोण से भी विचार किया जा रहा है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए होम स्टे को वर्क फ्रॉम होम के उपयोग के लिए भी दिया जाए। इसके लिए होम स्टे में बेहतर संचार कनेक्टिविटी समेत अन्य सुविधाएं विकसित करने पर फोकस किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वेलनेस के मद्देनजर होम स्टे के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
उत्तराखंड के होम स्टे में योग-ध्यान, स्पॉ, पंचकर्मा जैसी वेलनेस से जुड़ी गतिविधियां शुरू करने के साथ ही इन्हें मौजूदा परिस्थितियों के दृष्टिगत कंपनियों, संस्थाओं समेत अन्य लोगों को वर्क फ्रॉम होम के लिए देने पर सरकार विचार कर रही है। वर्क फ्रॉम होम के दृष्टिगत होम स्टे में बेहतर वाई-फाई कनेक्टिविटी समेत अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
जब तक कोरोना महामारी के इलाज को वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक इसीके साथ ही रहते हुए आगे बढ़ना होगा। इसके लिए काम के ऐसे तौर-तरीके अपनाने होंगे, जिससे बीमारी से बचाव भी हो सके और आर्थिकी भी बाधित न हो। इसी को देखते हुए उत्तराखंड में ‘होम स्टे योजना’ को वेलनेस टूरिज्म से जोड़कर आने वाले दिनों की बड़ी संभावना के तौर पर देखा जा रहा है।
उत्तराखंड के गांवों से पलायन थामने के मद्देनजर रोजगार के अवसर सृजित करने के मकसद से 2016 में होम स्टे योजना शुरू की गई। मंशा ये है कि गांव में घरों को होम स्टे में तब्दील कर वहां पर्यटकों के रहने की व्यवस्था की जाए। घर जैसा वातावरण देते हुए उन्हें पारंपरिक व्यंजन तो परोसे ही जाएंगे, यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भी वे रूबरू हों। दिसंबर 2019 तक राज्य के तमाम जिलों में 1842 होम स्टे अस्तित्व में आ चुके थे।