कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई में आज, शुक्रवार को 17 विपक्षी पार्टियों के नेताओं की मजदूरों के पलायन और राहत पैकेज के मुद्दे पर दोपहर तीन बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अहम बैठक होने जा रही है। बैठक शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार शामिल हो रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने इस बैठक से किनारा कर लिया है।
अम्फान तूफान की वजह से हुई तबाही के बावजूद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बैठक में हिस्सा लेने पर सहमति जताई है लेकिन, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अब तक बैठक में शामिल होने की पुष्टि नहीं की है।
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया ने खुद विपक्षी दलों के कई नेताओं को फोन कर प्रवासी मजदूरों के पलायन के मुद्दे पर रणनीति बनाने में उनका समर्थन मांगा है। बैठक में मौजूदा श्रम कानूनों में हुए बदलाव पर भी चर्चा होगी। कुछ राज्यों में काम के घंटों को बढ़ाया गया है। विपक्षी दल इसे मजदूर विरोधी करार दे रहे हैं। बैठक में केंद्र द्वारा जारी राहत पैकेज के मुद्दे पर भी चर्चा होगी। कई विपक्षी दलों ने प्रवासी मजदूरों को सीधे आर्थिक मदद नहीं देने के केंद्र के फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कोरोनावायरस की वजह से पहले ही मजदूरों के पास काम नहीं है। वे मजबूरी में पैदल ही अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। ऐसे में उन्हें तत्काल आर्थिक मदद की जरूरत है, लेकिन सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है।
सीपीआई के महासचिव सीताराम येचुरी भी बैठक में शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक, वे प्रवासी मजदूरों और हर गरीब के खाते में फौरन 7500 रुपए ट्रांसफर करने की मांग पर विपक्षी दलों से समर्थन मांगेंगे। इसके अलावा प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त में उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के अलावा अगले 6 महीने तक हर गरीब को 10 किलो फ्री राशन देने की भी मांग उठाएंगे। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लागू किया है। 18 मई से इसका चौथा फेज शुरू हुआ है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रमिक महानगरों से अपने घर जाने के लिए पैदल निकल गए हैं। कई जगहों पर हुई दुर्घटनाओं में मजदूरों की मौत भी हुई है।