मकर सक्रांति के मौके पर उत्तराखंड में जगह-जगह उत्तरायणी मेलों का आयोजन होता है। कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों के लोग उत्तरायणी मेले का बेसब्री से इंतजार करते हैं। बागेश्वर का उत्तरायणी मेला तो दुनियाभर में प्रसिद्ध है। आज मकर संक्रांति पर कौशिक इंकलेव (बुराड़ी) दिल्ली में कुमाऊँ सांस्कृतिक कला मंच की ओर से 23वें उत्तरायणी कौतिक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंच के संस्थापक गिरीश जोशी ने उत्तरायणी का महत्व रेखांकित किया। खीमसिंह रावत ने युवा पीढ़ी से उत्तरायणी त्योहार से जुड़ने और इसे आत्मसात करने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी 23 वर्षों की तपस्या तभी सफल होगी, जब हमारे युवा उत्तरायणी की आस्था में अवगाहन करने लगें।
उत्तरायणी पर्व अभियान के मुखर वक्ता नन्दन सिंह रावत ने दिल्ली सरकार से उत्तरायणी पर्व पर अवकाश दिवस घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि दिल्ली प्रवास में इस तरह के आयोजन से हमारी युवा पीढ़ी को अपने समाज, अपनी संस्कृति से जुड़े रहने की प्रेरणा तो मिलती ही है, लोक जीवन के रितिवाज, त्योहारों की झलक भी ऐसे अवसरों पर देखने को मिलती है।
पूरे दिनभर चले इस सुखद कौतिक लोक समारोह में हज़ारों लोगों की सहभागिता रही। संख्या में भीड़ रही। उत्तराखंडियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। कार्यक्रम में उत्तराखंड की स्वर कोकिला स्वर्गीय कबूतरी देवी और महान गायक, लेखक जगदीश बकरोला के गीतों पर आधारित लोक कलाकारों एवं देवकी शर्मा के निर्देशन में दिव्य कला संगम की प्रस्तुतियां सराहनीय रहीं। पूरे आयोजन में उत्तराखंड की उत्सवी लोक भाषा-साहित्य-संस्कृति जीवंत हो उठी।
इस अवसर पर दिल्ली पुलिस में एसीपी ललित नेगी, वरिष्ठ आंदोलनकारी नंदन सिंह रावत और समाजसेवी सुरेन्द्र हालसी ने स्वर्गीय कबूतरी देवी की बेटियों और जगदीश बकरोला को सादर सम्मानित किया। कार्यक्रम को दलीप सिंह नेगी बेतालघाट, गणेश बिष्ट स्वीजरलैंड से यहां समारोह में शामिल होने पहुंचे तो संस्था के अध्यक्ष गिरधरसिंह रावत ने उपस्थित दर्शक दीर्घा के अलावा सहभागी आनन्द जोशी, दिनेश खोलिया, गिरीश भट्ट, राजेंद्र गोश्वामी, हर्षनेगी, सुरेन्द्र पटवाल, खीमसिंह रावत, गिरीश जोशी आदि के प्रति हृदय से आभार प्रकट किया।