ईरान के सर्वोच्च नेता आयातोल्लाह ख़ामेनेई ने कहा है कि जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत का अमरीका से बदला लिया जाएगा। अमेरिका के हमले-दर-हमले और ईरान की प्रतिशोध की धमकियों से तीसरे विश्वयुद्ध के काले बादल मंडराने लगे हैं। ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है और सब की निगाहें अब रूस की तरफ़ हैं। हाल के दिनों में मध्यपूर्व में रूस का हस्तक्षेप बढ़ा है और आने वाले दिनों में रूस की भूमिका अहम होगी। इसी बीच ताकत का गलत इस्तेमाल न करने की चीन की अमेरिका को चेतावनी भी गौरतलब है। धीरे-धीरे दुनिया दो ताकतवर गिरोहों में तब्दील होती जा रही है। सबके पास हथियारों के जखीरे हैं, परमाणु बमों के गोदाम और जरूरत से ज्यादा पैसे इकट्ठे कर लेने की बौराहट, जो उनकी अपनी-अपनी ताकत में पलीते का काम कर रही है।
जाने माने पत्रकार राइटर जॉनाथन मार्कस लिखते हैं – सुलेमानी की हत्या ने अमरीका और ईरान के बीच चल रहे घटिया संघर्ष को नाटकीय उछाल दे दिया है जिसके परिणाम काफ़ी गंभीर हो सकते हैं। ईरान इसका जवाब देता है तो प्रतिशोध यह श्रृंखला दोनों देशों को सीधे टकराव के क़रीब ला सकती है। अब इराक़ में अमरीका का भविष्य क्या होगा, यह सवाल तो उठेगा ही, अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने मध्य-पूर्व क्षेत्र के लिए अगर कोई रणनीति बनाई हुई है, तो उसका परीक्षण भी अब हो जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की सरकार में व्हाइट हाउस के लिए मध्य-पूर्व और फ़ारस की खाड़ी के सह-समन्वयक रहे फ़िलिप गॉर्डन ने कहा है कि सुलेमानी की हत्या अमरीका का ईरान के ख़िलाफ़ ‘युद्ध की घोषणा’ से कम नहीं है। सुलेमानी के हाथ अमरीकियों के ख़ून से रंगे थे। अब बड़ा सवाल ये है कि आगे क्या होने वाला है। यह लगभग अकल्पनीय है कि ईरान इसके जवाब में कोई आक्रामक प्रतिक्रिया नहीं देगा। माना जा रहा है कि इस बार ईरान की प्रतिक्रिया असंयमित होगी।खाड़ी में अब तनाव बढ़ेगा। इसका भारत समेत दुनिया के तमाम देशों पर पहला असर तेल की कीमतों और महंगाई में उछाल के रूप सामने आएगा। सवाल ये भी उठ रहे कि क्या अमरीका इस घटना के बाद के परिणामों को झेलने के लिए पूरी तरह तैयार है?
अमरीका ने ईरान पर गुस्सा दिखाया है तो दुनिया में चौधरी बनने की चाहत रखने वाले चीन ने तुरंत रूस से इस बात की शिकायत की है। ईरान की रूस और चीन से मैत्री प्रबल हो या न हो, चीन और रूस की अमरीका से बिलकुल नहीं पटती है। ऐसे में ईरान चीन और रूस से मदद मिलना तय माना जा रहा है। अमेरिका हो या रूस-चीन, सबकी निगाहें तेल के खजाने पर हैं। ऊपरी हमले तो दुनिया को दादागीरी दिखाने के लिए हैं। असली खेल तेल का है। ईरान की तरफ से अमरीका पर आँख टेढ़ी कर दुनिया के दरोगा पर नकेल कसते हुए तेल खजाने में घुस जाना रूस और चीन की यौद्धिक मंशा हो सकती है। एक बात और। अमेरिका से उत्तर कोरिया की भी ठनी हुई है। वह तमाम दबावों मुलाकातों के बावजूद परमाणु परीक्षणों की दिशा में लगातार सक्रिय है। ऐसे में तीसरे विश्व युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता है। अगर तीसरे विश्व युद्ध की चिंगारी खाड़ी देशों से भड़की तो भारी नरसंहार और सृष्टि की सारी खूबसूरती बर्बाद हो जाना तय है।