आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में हमला करने वालों ने अपना गुनाह कुबूल लिया है। नकाबपोश हमलावर लड़की की भी पहचान हो गई है। आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के मुताबिक, बताया गया है कि पांच जनवरी को जेएनयू में डंडा लेकर हमला करने वाली नकाबपोश लड़की का नाम कोमल शर्मा है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की कार्यकर्ता है। कोमल शर्मा के सीनियर और सोशल मीडिया यूजरों ने भी इसकी पुष्टि की है। इस बात की भी पुष्टि हुई है कि पांच जनवरी को कोमल शर्मा जेएनयू में मौजूद थी। कोमल शर्मा ने सोशल मीडिया पर सारा वशिष्ठ के नाम से प्रोफाइल बना रखा है और सक्रिय है। अब दिल्ली पुलिस आजतक से स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो मांग रही है।
आजतक पर एबीवीपी से जुड़े दो आरोपियों ने कुबूल किया कि उन्होंने ही 5 जनवरी को जेएनयू में हंगामा मचाया था। जेएनयू हिंसा की बाकायदा पूरी स्क्रिप्ट कैसे लिखी गई। वो सब उन्होंने आजतक के खुफिया कैमरे पर कुबूल किया। एबीवीपी से जुड़े छात्र ने बताया कि कैसे एक व्हाट्सऐप ग्रुप पर हिंसा की पूरी प्लानिंग हुई। हालांकि स्टिंग दिखाए जाने के बाद एबीवीपी लगातार कह रहा है कि जिस लड़के ने हिंसा करने का दावा किया है, वो एबीवीपी का सदस्य ही नहीं है।
जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने जिस जोश-ओ-ख़रोश के साथ अपनी जांच की प्रगति मीडिया के सामने रखी, उसी रफ़्तार से उसकी जांच सवालों के घेरे में आती गई और शाम होते-होते दिल्ली पुलिस की जमकर किरकिरी होने लगी। दिल्ली पुलिस के प्रेस कॉन्फ़्रेंस के बाद सियासत भी बहुत तेज़ी से आगे बढ़ी और ये सवाल बड़ा होने लगा कि क्या दिल्ली पुलिस भी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर जांच कर रही हैं? या जांच में उलझ गई दिल्ली पुलिस।
दिल्ली पुलिस ने जेएनयू कैंपस में बीते रविवार को हुई हिंसा मामले में आइशी घोष समेत नौ आरोपी छात्रों की पहचान की बात शुक्रवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में की थी। इसके एक दिन बाद आज शनिवार को उसने 37 और लोगों की पहचान का दावा कर दिया। बताया गया कि हिंसा वाले दिन ही बने व्हाट्सएप ग्रुप ‘यूनिटी अंगेस्ट लेफ्ट’ के 60 सदस्यों में से 37 की पहचान कर ली गई है। उस हिंसा में करीब 10 लोग बाहर से आए थे। आइशी के अलावा सात वामपंथी छात्रों के भी नाम पुलिस ने बताया। इसके अलावा सात छात्र वामपंथी संगठनों और दो एबीवीपी से जुड़े हैं।
पुलिस ने सबूत के तौर पर इनकी फोटो जारी की, जिसमें आरोपी डंडे और पत्थर लिए हैं। हालांकि अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया, लेकिन जल्द ही पूछताछ का नोटिस भेजा जाएगा। मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख डॉक्टर जॉय टिर्की ने शुक्रवार शाम बताया कि आरोपी छात्रों की पहचान हिंसा के समय बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप से हुई है। हालांकि कैंपस में घुसकर मारपीट करने वाले नकाबपोशों की पहचान अभी बाकी है। सर्वर खराब करने की वजह से कैंपस के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे। कुछ वीडियो वायरल हुए हैं, जिनकी मदद से आरोपियों की पहचान हुई। जांच टीम ने 30 से 32 गवाहों से पूछताछ की। हालांकि वीडियो इनमें से किसी ने नहीं बनाया।
टिर्की ने बताया, कैंपस में हिंसा के समय कुछ व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए थे। रविवार शाम सात बजे ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ नाम से ग्रुप बनाया गया। इसमें करीब 60 सदस्य थे और योगेंद्र भारद्वाज इसका एडमिन है, जो एबीवीपी का कार्यकर्ता बताया जा रहा है। योगेंद्र भारद्वाज जेएनयू में पीएचडी, (संस्कृत) का छात्र है। टिर्की ने बताया, जेएनयू हिंसा मामले में तीन एफआईआर हुई हैं। हिंसा में चार छात्र संगठनों स्टूडेंट ऑफ इंडिया (एफएसआई), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) के नाम सामने आए हैं। इनसे जुड़े लोग ही छात्रसंघ पदाधिकारी हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल व्हाट्सएप्प ग्रुप के चैट और कुछ तस्वीरें इस ओर इशारा कर रही हैं कि इस हमले के पीछे कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का हाथ हो सकता है। व्हाट्सएप्प ग्रुप के जो चैट सामने आए हैं, उससे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए उपद्रव का लिंक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, एबीवीपी ने इस हमले में शामिल होने से साफ तौर पर इनकार किया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट के अनुसार, व्हाटसएप्प ग्रुप पर हमले के लिए कोऑर्डिनेशन का पहला संकेत शाम करीब 5:30 बजे दिखाई पड़ता है, जब एक यूजर ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ नामक व्हाट्सएप्प ग्रुप पर ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ व्हाट्सएप्प ग्रुप का लिंक साझा करता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के सदस्यों और सार्वजनिक रूप से इंटरनेट पर उपलब्ध फाइलों के अनुसार, इस यूजर की पहचान जेएनयू के एबीवीपी नेता योगेंद्र भारद्वाज के रूप में की गई है।
स्क्रीनशॉट में योगेंद्र भारद्वाज का नाम अगले पोस्ट में भी दिखता है, जिसमें वह लेफ्ट के खिलाफ एकजुटता का आह्वान करता दिख रहा है। भारद्वाज के फोन नंबर से पता चलता है कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृति विभाग से जुड़ा हुआ है। योगेंद्र डीयू के संस्कृत विभाग में ‘एड-हॉक’ शिक्षक के रूप में काम करता है।
एबीवीपी की जेएनयू इकाई के सचिव मनीष जांगिड़ ने पुष्टि की है कि व्हाट्सएप ग्रुप जरूर मौजूद है, मगर कहा कि उनके सहयोगियों के नंबर को वामपंथी संगठन के प्रतिद्वंद्वियों ने बदनाम करने के लिए व्हाट्सएप्प समूहों में जोड़ा। उन्होंने आगे कहा कि हमारे नंबर कुछ सर्वर का उपयोग करके लिए गए थे और हमें समूह में एडमिन के रूप में जोड़ दिया गया। हम उन व्हाट्सएप्प समूहों के बारे में नहीं जानते थे।
एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक राहुल चौधरी ने भी एबीवीपी के किसी सदस्य की भूमिका से इनकार किया। उन्होंने कहा कि हम इन दिनों किसी भी व्हाट्सएप्प समूह में किसी को भी जोड़ सकते हैं, स्क्रीनशॉट ले सकते हैं और लोगों को बदनाम कर सकते हैं। अगर उनके (वामपंथी समूह) पास व्हाट्सएप ग्रुपों पर योजना बनाने और साजिश रचने के लिए हमारे खिलाफ सबूत हैं तो उन्हें पुलिस को देना चाहिए। इसके अलावा, जेएनयूएसयू के एक काउंसलर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भारद्वाज एबीवीपी के सदस्य थे और संस्कृत विभाग में पढ़ते थे। हिन्दुस्तान टाइम्स ने कथिततौर पर भारद्वाज के नंबर पर फोन भी लगाया, मगर स्विच ऑफ मिला।
एबीवीपी के सदस्य से जुड़ा एक दूसरा व्हाट्सएप नंबर विकास पटेल का है। ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ व्हाट्सएप्प ग्रुप में विकास पटेल मैसेज करता है, जिसमें लिखा होता है- डीयू के लोग खजान सिंह स्विमिंग पूल से भी प्रवेश कर सकते हैं। वह कहता है- ‘डीयू के लोगों की एंट्री आप खजान सिंह स्विमिंग साइड से करवाइए, हमलोग यहां 25-30 लोग हैं।’
उस नंबर को फेसबुक पर एबीवीपी के कम्युनिटी ग्रुप द्वारा किए गए पोस्टों में देखा गया था, जहां पटेल उस नंबर से जुड़े हैं। एक फेसबुक प्रोफाइल में भी पटेल ने खुद को एबीवीपी के सदस्य के रूप में बताया था, जिसे बाद में हटा दिया गया। जब हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस नंबर पर कॉल किया तो स्विच ऑफ मिला।
जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि ‘हम में से कई लोगों ने विकास पटेल को परिसर के अंदर भीड़ के साथ एक स्टिक (छड़ी) के साथ देखा। उसने अब अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया है। विकास पटेल एबीवीपी के सदस्य हैं और यहां के छात्र थे।’ हालांकि, चौधरी ने पटेल या किसी अन्य एबीवीपी सदस्य द्वारा सोशल मीडिया अकाउंट बंद करने से इनकार कर दिया।
जेएनयूएसयू के सदस्यों ने आरोप लगाया कि कई अन्य लोग जो व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे और जिन्होंने ग्रुप में पोस्ट किए, वे एबीवीपी के सदस्य या समर्थक थे। हालांकि हिन्दुस्तान टाइम्स को इसका दूसरा साक्ष्य नहीं मिला कि ये नंबर किनके थे।
एक तीसरा नंबर भी सोशल मीडिया पर अटेंशन का विषय बन गया, जब पता चला कि यह तीसरा नंबर कांग्रेस से जुड़े राजनीतिक सलाहकार का है। इस नंबर का इस्तेमाल करने वाले कांग्रेस से जुड़े राजनीतिक सलाहकार आनंद मंगनेले हैं। उन्होंने हिन्दुस्ताइन टाइम्स को बताया कि वह उन दोस्तों को चेतावनी देने के लिए समूह में शामिल हुए थे, जहां हमले हो रहे थे। मंगनाले ने पोस्ट किया था, ‘जेएनयू के समर्थन में लोग मुख्य द्वार पर आ रहे हैं। वहां कुछ करना है?’
उन्होंने कहा कि वह सदस्यों की जासूसी करने के लिए समूह में थे। मैं व्हाट्सएप ग्रुप में रात 8:30 बजे शामिल हुआ था, यानी ग्रुप बनने के लगभग 3 घंटे बाद। उनसे जानकारी निकालने के लिए मैंने ऐसा नाटक किया, जैसे कि मैं उनमें से ही एक हूं।
जब एबीवीपी और आरएसएस के समर्थकों ने कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में मंगेले के पदों को हाइलाइट किया तो उन्होंने इनकार किया कि वह पार्टी से जुड़े थे। हिन्दुस्तान टाइम्स से उन्होंने कहा, ‘मुझे लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस की मदद के लिए काम पर रखा गया था, लेकिन मैं उनसे जुड़ा नहीं हूं।’
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें और वीडियो में कथिततौर पर एबीवीपी के सदस्यों को लाठी और हथौड़े के साथ देखा गया। हालांकि, हिन्दुस्तान टाइम्स इन वायरल तस्वीरों और वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता। इस तरह के एक फोटो में, दो कथित एबीवीपी सदस्यों को लाठी लेकर जेएनयू कैंपस में जाते हुए देखा गया। चौधरी ने कहा कि इनमें से कुछ पोस्ट को मॉर्फ किया जा सकता है।
एबीवीपी ने भी जेएनयूएसयू के अध्यक्ष आइशी घोष को निशाना बनाने के लिए वीडियो जारी किए, जिसमें उन्हें पेरियार हॉस्टल में देखा गया, जहां एबीवीपी के सदस्यों पर एक कथित हमला हुआ। जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष मून ने इस बात से इनकार किया कि घोष हमलावर थे और उन्होंने कहा कि वह हमले को रोकने गए थे।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि क्राइम ब्रांच की टीम सोशल मीडिया की निगरानी और हमले में शामिल लोगों को दिखाने वाले वीडियो और तस्वीरें को एकत्र कर इसका परीक्षण कर रही है। उन्होंने कहा कि हम जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे हमें परिसर में रविवार की हिंसा से संबंधित सभी वीडियो और तस्वीरें उपलब्ध कराएं।