संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से नफरत और बाहरी लोगों के भय या जेनोफोबिया की एक सुनामी आ गई है और इसका अंत करने के लिए पुरजोर कोशिश की जरूरत है। इंटरनेट से लेकर सड़कों तक, हर जगह विदेशियों के खिलाफ नफरत बढ़ गई है। यहूदी-विरोधी साजिश की थ्योरियां भी बढ़ गई हैं और कोविड-19 से संबंधित मुस्लिम-विरोधी हमले भी हुए हैं। भारत में भी यह प्रवृत्ति और विशेष समूहों के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिशें देखी जा रही हैं। पत्रकारों, स्वास्थ्यकर्मियों, राहत-कर्मियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने के प्रकरण भारत में भी देखे जा रहे हैं। गत सात मई को नासिक में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए एक डॉक्टर को उसके पड़ोसियों ने आवासीय परिसर में घुसने नहीं दिया जबकि कुछ ही दिन पहले उन्ही पड़ोसियों ने डॉक्टर को कोरोना-योद्धा की उपाधि देकर तालियां बजाई थीं। उनका कहना था कि इस महामारी में जो देखा गया है उसमें कुछ समुदायों पर कुछ ज्यादा असर, हेट स्पीच का उदय, कमजोर समूहों को निशाना बनाया जाना, और कड़ाई से लागू किए गए सुरक्षा के कदम शामिल हैं जिनसे स्वास्थ प्रणाली का काम प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा कि प्रवासियों और शरणार्थियों को वायरस का स्त्रोत बता कर उनका तिरस्कार किया जा रहा है, और फिर उसके बाद उन्हें इलाज से वंचित रखा गया है। इसी बीच घिनौने मीम भी निकल कर आए हैं जो बतलाते हैं कि बुजुर्ग जो कि वायरस के आगे सबसे कमजोर लोगों में से हैं, सबसे ज्यादा बलिदान करने के योग्य भी हैं। पत्रकारों, घोटालों और जुर्म का पर्दाफाश करने वाले व्हिसलब्लोओर, स्वास्थ्यकर्मी, राहत-कर्मी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को महज उनका काम करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने अपील की है कि पूरी दुनिया में हेट स्पीच का अंत करने के लिए एक पुरजोर कोशिश की जरूरत है। विशेष रूप से शिक्षण संस्थानों को युवाओं को डिजिटल साक्षरता की शिक्षा देनी चाहिए क्योंकि वे कैप्टिव दर्शक हैं और जल्दी निराश हो सकते हैं। सोशल मीडिया कंपनियां नस्ली, महिला-विरोधी और दूसरी हानिकारक सामग्री के बारे में सूचित करें और उसे हटाएं भी। कोरोना महामारी तेजी से एक मानव संकट से मानवाधिकार संकट में बदल रही है। कोविड-19 से लड़ने में जन सुविधाओं को लोगों तक पहुंचाने में भेदभाव किया जा रहा है और कुछ ढांचागत असमानताएं हैं जो इन सेवाओं को सब तक पहुंचने नहीं दे रही हैं।