ईरान के मिसाइल हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रप के ताजा सम्बोधन में रुख बदला-बदला सा नजर आया है। जैसी की संभावना जताई जा रही थी, उन्होंने ईरान को धमकी या बदले की कार्रवाई की किसी घोषणा के बजाए समझाने का रुख अख्तियार करते हुए मुख्य रूप से दो बातें कहीं। एक तो उन्होंने मध्य पूर्व में शांति बहाली के लिए चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन आदि से भी ईरान के खिलाफ अमेरिका के साथ आने की अपील, दूसरी, अमेरिका कभी भी ईरान को परमाणु ताकत नहीं बनने देगा। इससे साफ है कि पूरे हालात पर अमेरिका सरकार ने रुख नरम कर लिया है। यद्यपि, उधर, इराक की राजधानी बगदाद के भारी किलेबंदी वाले ग्रीन जोन में एक बार फिर रॉकेट हमला हुआ है। इराकी सेना ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि बगदाद के ग्रीन जोन के अंदर दो कत्यूषा रॉकेट दागे गए हैं। इराकी सेना ने कहा कि हमले में किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी दूतावास से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक रॉकेट गिरा है। अभी किसी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
अमेरिकी हमले में मारे गए मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को आतंकी बताते हुए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका कभी भी ईरान को परमाणु ताकत नहीं बनने देगा। सुलेमानी को बहुत पहले ही मार दिया जाना चाहिए था। वह अमेरिकी अड्डों पर हमले की ताक में था। अमेरिकी सेना ने दुनिया के उस शीर्ष आतंकी को मारा है, जिसने कई जघन्य हमलों की साजिश रची, आतंकी संगठन हिज्बुल्लाह को ट्रेनिंग दी और मध्य-पूर्व में आतंकवाद को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि ईरान के मिसाइल हमले में कोई भी अमेरिकी सैनिक हताहत नहीं हुआ है। अमेरिकी मिलिट्री बेस पर मामूली नुकसान हुआ है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हम शांति के पक्ष में हैं। ईरान के नेताओं और लोगों के लिए हम चाहते हैं कि आपका शानदार भविष्य हो जिसके आपके हकदार हैं। अमेरिका आज दुनिया में तेल और गैस का सबसे बड़ा उत्पादक है। उसे मध्य पूर्व के तेल की जरूरत नहीं है। अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण की डील की, लेकिन वह शुक्रिया की बजाय अमेरिका की मौत के नारे लगा रहा है। ट्रंप ने चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन आदि से भी ईरान के खिलाफ अमेरिका के साथ आने की अपील करते हुए कहा कि ईरान की हिंसा से मध्य पूर्व में शांति नहीं आएगी।
उधर, ट्रप का नरम रुख सामने आते ही अचानक न्यूयॉर्क में कच्चे तेल की कीमतों में 4.6 फीसद की गिरावट आ गई। उल्लेखनीय है कि इससे पहले कच्चे तेल की कीमत बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। उनकी शांति की पेशकश को पश्चिम एशिया में तनाव कम करने के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है। इस बीच भारत के पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश में तेल का कोई संकट नहीं है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा ईंधन खपत करने वाला देश है।