बारिश में भीगने के बाद हाथ धोना कितना जरूरी है, सैनेटाइजर का असर कितनी देर तक रहता है और फैक्ट्री में एक ही मशीन से कई लोग काम करते हैं तो क्या सावधानी बरती जाए, ऐसे कई सवालों के जवाब पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने आकाशवाणी को दिए हैं।
डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी से जब पूछा गया कि बारिश में भीग गए हैं तो क्या हाथ धोना जरूरी है, वह कहते हैं, भीगने का मतलब यह नहीं है कि आप पर पानी पड़ते ही वायरस मर गया। वायरस तभी हाथों से जाएगा, जब आप बहने पानी में हाथ धोएंगे। दूसरी बात वायरस के ऊपर चर्बी की पर्त होती है, जो साबुन लगाने पर धुल जाती है। वायरस भी उसी के साथ धुलकर हाथों से निकल जाता है। इसलिए हर स्थिति हर स्थिति में साबुन से हाथ धोना जरूरी है। सीरो सर्वे के अनुसार, देश में 0.73 लोग संक्रमित हुए और अपने आप ठीक हो गए, क्या यह हर्ड इम्युनिटी है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि जी नहीं, यह हर्ड इम्युनिटी नहीं है।
वह बताते हैं कि आईसीएमआर के इस सर्वे में देश के कई कंटेनमेंट जोन के आंकड़े अभी नहीं आए हैं। जिन जिलों की रिपोर्ट आ चुकी हैं, उनमें 0.73 फीसदी लोगों को संक्रमण हुआ और वे अपने आप ठीक हो गए। मतलब 1 फीसदी से कम लोगों को यह वायरस छू चुका है। अगर यह मानकर चलें कि बड़े शहरों में संक्रमितों की संख्या ज्यादा रही होगी तो भी भारत में करीब 2 फीसदी लोगों को ही इस वायरस ने छुआ होगा। जबकि हर्ड इम्युनिटी तब विकसित होती है, जब कम से कम 70 फीसदी लोग संक्रमित हुए हों।
सैनेटाइजर का असर कितनी देर तक रहता है, सवाल पर डॉ रेड्डी का कहना है कि सैनेटाइजर में अल्कोहल होता है जो कुछ ही देर के लिए आपके हाथों पर रहता है। अल्कोहल हाथों पर वायरस को मारने के लिए है, दिनभर हाथों को सुरक्षित रखने के लिए नहीं है। इसलिए साबुन-पानी से हाथ धोते रहें। खाने का स्वाद न मिलना और सूंघने की क्षमता का कम हो जाना कोरोना का लक्षण है। ऐसे में ईएनटी के मरीज जिनमें ये बीमारी पहले से है, उनमें डर होना स्वाभाविक है। हमें यह समझाना होगा कि बुखार, सूखी खांसी और सांस फूलना भी इसके अहम लक्षण हैं। जबकि सूंघने की क्षमता घटना, स्वाद न आना, मांसपेशियों में दर्द, कंपकंपी लगना माइनर लक्षण है। अगर ऐसे लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर को तुरंत बताएं।