नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दायर याचिकाओं की तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली बेंच ने गुरुवार को कहा कि देश अभी नाजुक दौर में है। अब हिंसा थमने के बाद ही इस मामले पर बेंच सुनवाई करेगी। पहली बार देश के कानून को संवैधानिक करार देने की कोर्ट में मांग हो रही है, जबकि हमारा काम वैधता जांचना है।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर एडवोकेट विनीत ढांडा ने एक याचिका दायर करते हुए उसकी जल्द सुनवाई की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि सीएए को वैध घोषित किया जाए। साथ ही राज्यों को भी निर्देश दिए जाएं कि वे कानून को लागू करें। याचिका में यह भी कहा गया कि अफवाहें फैलाने के लिए कार्यकर्ताओं, छात्रों और मीडिया पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
पिछले महीने दिसंबर में संसद में नागरिकता बिल पास होने के बाद से ही पूर्वोत्तर समेत देशभर में हिंसक प्रदर्शन होते आ रहे हैं। इस दौरान 21 लोगों की जान जा चुकी है। कई राज्य संशोधित कानून को अपने यहां लागू करने से इनकार कर रहे हैं। यह वर्ष 2014 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शनों का सिलसिला है। पीएम गत माह 25 दिसंबर को लखनऊ में लोगों से अपील करते हुए कह चुके हैं कि विपक्षी भ्रम फैला रहे हैं। लोगों को इस भ्रम में पड़कर हिंसा नहीं करनी चाहिए और सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। उधर, एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है, नागरिकता देने का प्रावधान है। देश के मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं है।