संक्रमण के मामले में भारत चीन से भी आगे निकल गया है और ये स्थिति तब है, जब देश में 25 मार्च के बाद से ही लॉकडाउन है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि लॉकडाउन की रणनीति से संक्रमण को नियंत्रित करने की सरकार की नीति क्या अब फेल साबित हो रही है। आख़िर क्यों सरकार प्रवासियों की समस्या का हल नहीं तलाश पा रही है? जिस तरह (बिना टेस्ट के, बिना सोशल डिस्टेंसिंग के) ये मज़दूर अपने गृह-प्रदेश या ज़िलों तक पहुंच रहे हैं, उससे संक्रमण को महामारी में तब्दील कर दिया। ये तो सभी को पता था ही कि एक न एक दिन प्रवासी वापस लौटेंगे ही। किसी को कितने दिन रोका जा सकता है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकारें क्या कर रही हैं और क्या कोई हल निकाला जा सका है? जवाब संतोषजनक नहीं। अभी तो कुछ ही स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जबकि 1 जून से 200 ट्रेनें और चलाने की घोषणा हो चुकी है, नियमित ट्रेन होंगी तो आने वाले समय में शायद ऐसा हो कि रिकॉर्ड रखना भी मुश्किल हो जाए।
क़ायदे से तो, जब लॉकडाउन शुरू हुआ, अगर सरकार उसी वक़्त ट्रेन चलने देती और लोगों के जाने की व्यवस्था करती तो उस समय संक्रमण होने की आशंका अभी से कम होती क्योंकि उस समय संक्रमण 500 के क़रीब थे लेकिन अब जबकि संक्रमण के मामले एक लाख के पार हो गए हैं तो ख़तरा दो सौ गुना बढ़ गया है लेकिन अगर और बाद में इस लागू किया जाएगा तो ख़तरा और बढ़ जाएगा। सरकार ने अपने शुरुआती और पहले ग़लत क़दम की वजह से अपने लिए कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा है। सबसे बड़ी विडंबना तो यही है कि जब संक्रमण के मामले कम थे, तब ट्रेन नहीं चलाई लेकिन अब जब मामले बढ़ गए हैं तो ट्रेन चला रहे हैं। उसकी वजह से संक्रमण के मामलों का बढ़ना तो तय है लेकिन अब भी अगर सरकार आने वाले पांच-छह दिनों में सभी को भेज दे या जाने दे तो वह समझदारी भरा फ़ैसला होगा लेकिन अगर इसे और चलने दिया, लोगों को बंद करके रख दिया तो लोग तो भूख से ही मर जाएंगे।
भारत में बीते चौबीस घंटों में कोरोना संक्रमण के 5,609 ताज़ा मामले सामने आए हैं। इसके साथ अब देश में कोरोना संक्रमितों की कुल आँकड़ा 112,359 तक पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 45,299 लोग कोरोना संक्रमण के बाद ठीक भी हुए हैं। वहीं कोरोना के कारण अब तक देश में कुल 3435 मौतें हुई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 45,299 लोग कोरोना संक्रमण के बाद ठीक भी हुए हैं। वहीं कोरोना के कारण अब तक दे में कुल 3435 मौतें हुई हैं। देश में कोरोना के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए हैं जिसके बाद तमिलनाडु, गुजरात और दिल्ली सबसे आगे हैं। महाराष्ट्र में अब तक कोरोना के कारण 39,297 लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि तमिलनाडु में 13,191, गुजरात में 12,537 और दिल्ली में 11,088 लोग कोरोना संक्रमित हैं। अब तक कोरोना से सबसे अधिक 1,390 मौतें महाराष्ट्र में और 749 मौतें गुजरात में हुई हैं।
तीन मई के बाद से राज्यों में संक्रमण के जो आँकड़े सामने आ रहे हैं उनमें कई मामले प्रवासियों के भी हैं। उन राज्यों में भी संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं जहां अब तक संक्रमण बहुत नियंत्रित था। सड़क के रास्ते पैदल चलकर, ट्रकों-ट्रॉलियों में लदकर कितने प्रवासी मज़दूर अपने घरों को लौटे हैं इसका कोई सटीक आँकड़ा तो नहीं है लेकिन पीआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक़, बीते 19 दिनों में भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन के ज़रिए क़रीब 21.5 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह-राज्य पहुंचाया है। इसके अलावा कुछ राज्यों ने प्रवासी मज़दूरों की वापसी के लिए बस की भी व्यवस्था की है। एक ओर जहां केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का ये फ़ैसला सैकड़ों किलोमीटर का सफ़र पैदल तय करने को मजबूर हो चुके प्रवासियों के लिए राहत की ख़बर है वहीं प्रवासी मज़दूरों की वापसी से उनके गृह राज्यों में संक्रमण फैलता जा रहा है।