सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए कुछ तो करना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने की सहमति जताई है जिसमें राजनीतिक पार्टियों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट न देने के आदेश जारी करने की मांग की गई है। निर्वाचन आयोग ने अपनी याचिका में कहा है कि नेताओं द्वारा अपने अपराधों की घोषणा करने से भी राजनीति के अपराधीकरण पर लगाम नहीं लग पा रही है।
भारतीय राजनीति में अपराधियों को आने से रोकने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि तमाम कोशिशों के बाद भी इस पर रोक नहीं लग पा रही है। सुप्रीम कोर्ट से आयोग ने कहा है कि अपराधियों को टिकट मिलने पर अदालत रोक लगाए। ‘राजनीतिक दलों से कहा जाना चाहिए कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को टिकट न दें।’ सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा है कि वह देश में राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के मद्देनजर रूपरेखा बनाकर एक सप्ताह के भीतर अदालत में पेश करे।
गौरतलब है कि इससे पहले मार्च 2019 में भी सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायमूर्तियों (दीपक मिश्रा, नरीमन खानविलकर, धनन्जय चंद्रचूड, इंदु मल्होत्रा) की संविधान पीठ ने निर्णय दिया था कि अदालत उन अपराधियों को जिनके मुकदमे लंबित हैं और आरोप भी तय हो चुके हैं, चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकती है। राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार और चुनाव आयोग को दिशा निर्देश जारी किए कि उम्मीदवार अपने विचाराधीन मुकदमों का विवरण चुनाव आयोग और अपने दल को देगा। इतना ही नहीं, आपराधिक मुकदमों की सूचना अखबार और मीडिया में भी प्रचारित की जाय।
29 मार्च, 2019 को एक अवमानना याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से इस संदर्भ में जवाब मांगा था। वैसे मौजूद व्यवस्था में हर संस्था की अपनी विवशता भी है और राजनेताओं को नियंत्रित करने की लक्ष्मण रेखा भी। उल्लेखनीय है कि राजनीति में अधराधियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2004 में जहां 24 प्रतिशत आपराधिक पृष्ठभूमि के सांसद थे, वह संख्या 2009 में 30 प्रतिशत और 2014 में बढ़ कर 34 प्रतिशत हो गई। ऐसे नेताओं को संसदीय लोकतंत्र से दूर रखने की जिम्मेवारी संसद की है, मगर ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि राजनीतिक दलों पर इनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि उनके बिना सत्ता और चुनाव की राजनीति संभव नहीं। वजह है आवारा पूंजी।