मौसम विभाग जिसका दो दिन पहले अंदेशा जता चुका था, वह आज सोमवार की देर शाम राजधानी देहरादून में सबके मत्थे आ पड़ा। पहली बार ऐसी कड़ाके की बिजलियां बरसीं कि मानो मकानो की छत ढह जाए, फिर जमकर पत्थर पड़ने लगे। कुछ पल के लिए तो लगा कि आसमान ही टूट कर गिर पड़ेगा। इस दौरान पूरे देहरादून की बिजली चली गई।
इसी खराब मौसम के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का लंबी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में निधन होने के बाद पार्थिव शरीर कोटद्वार के रास्ते सोमवार शाम करीब सात बजे उनके पैतृक गांव पंचूर (ठागर) पहुंचा। अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा। उनके दामाद पूरण सिंह पयाल ने बताया कि आपसी विचार-विमर्श के बाद अंतिम संस्कार का स्थान तय हो पाएगा। संबंधित क्षेत्र के दिवंगत लोगों का अंतिम संस्कार थल नदी के परंपरागत घाट पर ही होता आया है। वहीं, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निधन पर शोक व्यक्त किया है।
जहां तक मौसम की बात है, गौरतलब है, पिछले दो-तीन दिनो से उत्तराखंड समेत कई हिमालयी राज्यों में मौसम का मिजाज अचानक रंग में आ गया है। गत दिवस ऋषिकेश, उत्तरकाशी में यमुनोत्री घाटी में तूफान के साथ जोरदार बारिश शुरू हुई। चमोली में शनिवार को बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, रुद्रनाथ, नंदा घुंघटी, लाल माटी सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई, जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश हुई जिससे मौसम काफी ठंडा हो गया। बर्फबारी से बदरीनाथ धाम में यात्रा तैयारियां भी प्रभावित होने लगी हैं। इससे पहले उत्तरकाशी में बादल छाए रहे। गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे सुचारू है। यमुनोत्री घाटी, नई टिहरी, रुद्रप्रयाग में रातभर बारिश हुई। श्रीनगर और आसपास के अलावा पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल और अल्मोड़ा में बारिश और ओलावृष्टि हुई। इस दौरान दिल्ली बैंड के पास भारी मात्रा में मलबा आने से पिथौरागढ़-घाट नेशनल हाईवे बंद हो गया। मैदानी क्षेत्रों से दूध, सब्जी और राशन लेकर आ रहे ट्रक घाट में ही फंसे रहे। मलबा हटाने के लिए जेसीबी और पोकलैंड लगाए गए।