गूगल ने ऐसे सैकड़ों संदिग्ध ऐप्स को अपने प्ले स्टोर से हटा दिया जो लोगों की जासूसी कर उन्हें अपना शिकार बनाते थे। इस तरह के ऐप्स को क्रीपवेयर (Creepware) कहा जाता है। कई लाख बार डाउनलोड किए जा चुके इन ऐप्स को हैकर्स ऑपरेट करते थे। एक रिपोर्ट की मानें तो गूगल ने ऐसे 813 ऐप्स को बैन कर दिया है।
क्रीपवेयर ऐप्स वह होते हैं जिनके इस्तेमाल हैकर्स किसी व्यक्ति की जासूसी करने, धमकी देने या धोखाधड़ी करने के लिए करते हैं। इनके जरिए हैकर्स आपकी ऑनलाइन ऐक्टिविटी ट्रैक करते हैं और आपके पासवर्ड तक चुरा लेते हैं। इसके बाद इस जानकारी का गलत इस्तेमाल करते हैं।
जैसे ही कोई व्यक्ति इस तरह के ऐप को डाउनलोड करता है, हैकर्स को उनके फोन की फाइल्स, मैसेजेस और कैमरे आदि का ऐक्सेस मिल जाता है। साइबर सिक्योरिटी फॉर्म नॉर्टन के मुताबिक, ‘क्रीपवेयर के जरिए हैकर्स दूर बैठकर ही आपके कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस पर कंट्रोल हासिल कर लेते हैं।’ ये आपके डिवाइस के कैमरे और माइक्रोफोन के जरिए आपको देख और सुन पाते हैं।
स्मार्टफोन्स यूजर्स के लिए एक नया खतरा पैदा हो गया है। रिसर्चर्स की एक टीम ने 4 हजार से ज्यादा ऐसे ऐंड्रॉयड ऐप्स की पहचान की है जो यूजर के डेटा की चोरी करते हैं। ये सारे ऐप गूगल के ऐप डिवेलपमेंट प्लैटफॉर्म Firebase पर तैयार किए गए हैं। एक ताजा रिसर्चर्स की मानें तो ये डेटा लीक गूगल फायरबेस के डेटाबेस में हुई किसी गड़बड़ी के कारण हो रही है।
एक अनुमान के मुताबिक गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद 30 प्रतिशत के ज्यादा ऐप फायरबेस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इनमें से जो ऐंड्रॉयड ऐप गूगल फायरबेस का इस्तेमाल करके डेटा स्टोर करते हैं, उनमें 4.8 को सेफ कैटिगरी से बाहर रखा गया है। ये ऐप किसी को भी यूजर का डेटा ऐक्सेस करने की परमिशन दे देते हैं। इसी का फायदा उठाकर हैकर्स बड़ी आसानी से यूजर के पर्सनल डेटा की चोरी कर लेते हैं।
रिसर्चर्स ने प्ले स्टोर पर मौजूद 5,15,735 ऐप्स की जांच की। इनमें 1,55,066 ऐप ऐसे हैं जो फायरबेस का इस्तेमाल करते हैं और इन्हीं में से 4,282 वे ऐप्स हैं जो यूजर के फोन के सेंसिटिव डेटा की चोरी कर रहे हैं। प्ले स्टोर पर 9,014 ऐसे ऐप्स भी हैं, जो रीड (read) और राइट परमिशन लेते हैं। राइट परमिशन मिलने पर कोई भी सर्वर से डेटा को रिमूव या ऐड कर सकता है।
साइबर सिक्यॉरिटी रिसर्चर्स की मानें तो डेटा लीक करने वाले ऐप्स में 40 प्रतिशत गेमिंग और एजुकेशन से जुड़े हैं। इस खतरे की मदद से हैकर यूजर्स के ईमेल आईडी, यूजरनेम, पासवर्ड, फोन नंबर, जीपीएस डेटा, घर के अड्रेस के साथ ही दूसरे कई जरूरी डेटा को डाउनलोड कर सकते हैं।