लॉकडाउन में उत्तराखंड समेत देश के बाकी हिस्सों के मंदिर भले निर्जन और बंद पड़े हों, अयोध्या में रामलला दर्शन दे रहे हैं, पुजारी बिना सोशल डिस्टेंसिंग के श्रद्धालुओं को प्रसाद में चरणामृत-लड्डू बांट रहे, अक्षत-चंदन-रोली लगा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान भी सौ ज्यादा लोग दर्शन करने पहुंच जा रहे हैं। यद्यपि श्रद्धालुओं से ज्यादा पुलिसकर्मी नजर आ रहे हैं। इस समय राम जन्मभूमि में नई चारदीवारी बनाकर भूमि का जेसीबी मशीनों से समतलीकरण भी चल रहा है। हर साल ज्येष्ठ के महीने में बड़ी संख्या में लोग अयोध्या के प्रसिद्ध मंदिर हनुमानगढ़ी में दर्शन को आते थे। इस बार वे भी नहीं हैं लेकिन राम नगरी के सभी मंदिर खुले हैं, साधु-संतों के लिए, पूजा-पाठ के लिए और श्रद्धालुओं के लिए भी।
रामलला से लेकर हनुमानगढ़ी और कनक भवन सभी जगह पर पहले की तरह ही पूजा हो रही है। भोग लगाया जा रहा है और प्रसाद-चरणामृत भी बांटा जा रहा है। दर्शन के लिए आनेवालों को पुजारी चंदन का टीका भी लगा रहे हैं। इस दौरान ज्यादातर लोग मास्क भी नहीं पहन रहे। बाहरी टूरिस्ट न होने से भीड़ नहीं है, लेकिन बाकी सब पहले जैसा ही है। सियाराम, जय राम, जय-जय राम और जय हनुमान की धीमी धुन साफ सुनाई दे रही है। शंख और मंजीरों की नाद भी गली के मुहाने तक पहुंच रही है। राम जन्मभूमि मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर सिर्फ सुरक्षाबल ही रह रहे हैं। पुलिस का कहना है कि अयोध्या में कोई बाहर से नहीं आ रहा, इसलिए इसे बंद करने की जरूरत नहीं पड़ी है।
रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे लोगों में अधिकारी, पुलिसकर्मी और संत ही हैं। कोई कतार भी नहीं है। मंदिर के पुजारी प्रेम तिवारी कहते हैं कि लॉकडाउन से श्रद्धालु बहुत कम आ रहे हैं। प्रसाद चढ़ाना भी बंद है। हालांकि वे भक्तों को प्रसाद देते हैं। कहते हैं कि सब प्रभु राम की कृपा है, जल्द ही सब सही हो जाएगा। जमीन समतलीकरण के बारे में बात करने पर कहते हैं कि लॉकडाउन और कोरोना न हुआ होता तो अब तक मंदिर का काम काफी आगे बढ़ चुका होता। राम जन्मभूमि के बगल में लॉकर चलाने वाले दीपक कहते हैं कि पहले हम श्रद्धालुओं के सामान की सुरक्षा करते थे, लेकिन अब चाय-नाश्ता बनाने लगे हैं। अब कोई बाहरी नहीं आ रहा, यहां बस तैनात फोर्स वालों को ही खिला-पिला रहे हैं। उन्हीं के बल पर दुकान चल रही है। बाकी तो रोड पर लोग पानी और चाय के लिए तरस रहे हैं।
कनक भवन के सामने चूड़ी-माला की दुकान लगाने वाली एक महिला कहती हैं कि अब तीन घंटा दुकान लगाने में लगता है, लेकिन तीन रुपए भी नहीं मिल रहा। अब जब यात्री आएंगे तो कुछ कमाई होगी। सब भगवान के भरोस ही चल रहा है।
अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय का कहना है कि यहां पर्यटन जीरो है। मंदिर खुलते हैं, लेकिन सिर्फ पूजा हो रही है। जरूरतमंदों की शासन और संत सहयोग कर रहे हैं। मधुकरिया साधु-संत जो रोज मांगकर खाते हैं, को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक-एक हजार रुपए दिए हैं। फिलहाल 5 से 7 हजार लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था है। सूखा राशन भी बांटा जा रहा है।