हलद्वानी (उत्तराखंड) में भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक चौराहा शाहीन बाग बन चुका है। लगातार दूसरी रात भी महिलाओं ने हलद्वानी के ताज चौराहे से मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। जिला प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देते हुए स्थानीय नेताओं के जरिये धरना समाप्त कराने का प्रयास किया, लेकिन महिलाएं हटने के लिए तैयार नहीं। महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश भी उनके बीच पहुंच चुकी हैं। हाथों में नारे लिखीं तफ्तियां लिए महिलाएं और बच्चे अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के खिलाफ नारेबाजी कर रहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि सरकार संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ कार्य कर रही है। यह कदम देश के लोकतंत्र के लिए घातक है। हल्द्वानी के ताज चौराहे पर प्रदर्शन करने वाली महिलाओं और बच्चों का यह धरना बेमियादी बताया जा रहा है यानी प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक सीएए-एनआरसी और एनपीआर वापस नहीं हो जाता। महिलाओं का ये प्रदर्शन स्वत: स्फूर्त है।
कल गुरुवार सुबह से ही वहां महिलाओं का जमावड़ा शुरू हो गया था। रात को भी महिलाएं रजाई कंबल लिए धरने पर जमी रहीं। महिलाएं सीएए कानून वापस लेने और आधी आबादी की बात सुनने के लिए केंद्र सरकार को आगाह कर रही हैं। इस मौके पर प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी कहती हैं कि देश में चल रही आर्थिक गिरावट से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार ने सीएए और एनआरसी का मुद्दा छेड़ा है। नोटबंदी के बाद देश में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। महंगाई के चलते आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। उद्योग धंधे बंद होते जा रहे हैं। एकता केंद्र की नीता कहती हैं कि लोग व्यवस्था के बदलाव के मूड में हैं। बिंदु गुप्ता कहती हैं कि मोदी सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि मुस्लिम महिलाओं को अपने बच्चों को लेकर धरने पर बैठना पड़ गया है। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के डा. उमेश चंदोला कविताएं सुना कर लोगों को सरकार की वास्तविकता से अवगत करा रहे हैं। पूर्व पार्षद शाहजहां बेगम कहती हैं कि तानाशाही का दौर खत्म हो चुका है। जनता अपने हकों के लिए सचेत हो चुकी है।