वैदिक-पौराणिक पुरखे, संत-ऋषि-मुनि कह गए हैं कि शरीर पंच तत्व से बना है, क्षिति-जल-पावक-गगन-समीरा, लेकिन आठवें आश्चर्य की तरह फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने हवा, पानी और बिजली से भविष्य का एक नया कलेवा ‘सॉलेन’ बनाया है। इसे थिन एयर फूड कहा गया है। पायलट प्लांट में ‘सॉलेन’ प्राकृतिक प्रोटीन सोर्स बना रहे हैं। दूसरे प्रोटीन सप्लीमेंट्स की तरह यह भी स्वादहीन है और इसे किसी भी स्नैक या भोजन में प्रयोग कर सकते हैं। इसके उत्पाद में एक छोटा कार्बन फुटप्रिंट होगा। एक फरमेंटेशन टैंक के अंदर बैक्टीरिया विकसित कर सॉलेन बनाया जाता है।
सोलर फूड्स पानी से बिजली बनाकर हाइड्रोजन बनाते हैं, और कार्बन डाइऑक्साइड को हवा से बाहर निकालते हैं। यही वजह है कि कंपनी सॉलेन को “थिन एयर फूड” कहती है। वैनिक्का ने कहा कि इस प्रकिया के बाद जो पाउडर प्राप्त होता है, उसमें 65 प्रतिशत प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और फैट होता है। इस पाउडर को ब्रेड और पास्ता में एड किया जा सकता है। डेयरी उत्पादों के विकल्प और मीट के विकल्प के तौर पर भी प्रयोग कर सकते हैं। वैनिक्का ने बताया कि एक दिन इसे प्रयोगशाला में बनने वाले मांस के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, अभी उसे कई टेस्ट से गुजरना बाकी है। वर्तमान में सोलर फूड्स यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सॉलेन का प्रोडक्शन कर रही है।
कहा जा रहा है कि यह हमारे पारंपारिक भोजन उत्पादन के तरीके में क्रांति ला सकता है। इसे बनाने वाली सोलर फूड्स कंपनी का कहना है कि पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही भोजन की मांग का यह विकल्प है। यह ईको फ्रेंडली भी है। कहा गया है कि अनाज की मांग की वजह से पृथ्वी के संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है। अनाज उत्पादन करने की जाने वाली खेती, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। आंकड़ों के अनुसार 14.5 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस पशु, खेती, गोमांस और डेयरी मवेशियों से उत्सर्जित होती है। हमारा उद्देश्य इस परिदृश्य को बदलना है। सोलर फूड्स नाम की इस कंपनी के सीईओ पासी वैनिक्का के मुताबिक, पृथ्वी को क्लाइमेट चेंज जैसे हालातों से बचाने के लिए हमें खेती से दूर होना होगा।