छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आज गुरुवार को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा आलोक शुक्ला समेत 12 अफसरों के खिलाफ सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इन अफसरों पर भाजपा शासनकाल के दौरान फर्जी संस्थान बनाकर 1 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप है। आरोपियों में से कुछ अफसर रिटायर हो चुके हैं। वहीं, एक आईएएस अफसर को पहले ही भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त किया जा चुका है। 2018 में दायर की गई जनहित याचिका पर जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वह सात दिनों के अंदर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करे। 15 दिनों के भीतर समाज कल्याण विभाग से समस्त मुख्य दस्तावेजों को सीज करें।
रायपुर के कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया था कि राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एनके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (एसआरसी) (राज्य स्रोत निशक्त जन संस्थान) के नाम पर 630 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। स्टेट रिसोर्स सेंटर का कार्यालय माना रायपुर में बताया गया, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है।
एसआरसी ने बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट और एसबीआई मोतीबाग के तीन एकाउंट से संस्थान में कार्यरत अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड से खाते खुलवाकर रुपए निकाले गए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ऐसी कोई संस्था राज्य में नहीं है। सिर्फ पेपरों में संस्था का गठन किया गया था। राज्य को संस्था के माध्यम से 1000 करोड़ का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा, जो कि 2004 से 2018 के बीच में 10 सालों से ज्यादा समय तक किया गया।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव अजय सिंह ने अपना शपथ-पत्र दिया था। इसमें उन्होंने 150-200 करोड़ की गलतियां सामने आने की बात कही थी। हाईकोर्ट ने कहा कि जिसे राज्य के मुख्य सचिव गलतियां और त्रुटि बता रहे हैं, वह एक संगठित और सुनियोजित अपराध है। कोर्ट ने सीबीआई को जांच के लिए निर्देश दिए। केंद्र सरकार के तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल बी. गोपा कुमार और राज्य सरकार के तरफ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पक्ष रखा।