लॉकडाउन फेज-2 में केंद्र सरकार के जारी नए दिशा निर्देशों में शादी-ब्याह और शराब की बिक्री का भी गाइड लाइन में उल्लेख किया है। नए दिशा निर्देशों में बताया गया है कि शादी समारोह पर जिला मजिस्ट्रेट की नजर होगी। गाइडलाइन के अनुसार, शादी समारोह और अंत्येष्टि, जहां लोगों की सामूहिक मौजूदगी होती है, उन्हें जिला मजिस्ट्रेट द्वारा रेगुलेट किया जाएगा। शराब की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी जारी रहेगी। गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देश के मुताबिक, शराब, गुटखा, तंबाकू आदि पर सख्ती से प्रतिबंध लागू रहेगा।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने को ले लॉकडाउन से जहां हर व्यवसाय प्रभावित हुआ है, वहीं सात फेरों पर भी कोरोना का काला साया मंडरा गया है। प्रत्येक वर्ष अप्रैल एवं मई महीना में जमकर शादी-विवाह होते थे। इस बार अप्रैल एवं मई माह के विवाह पर कोरोना वायरस महामारी भारी पड़ रही है। इस माह के दूसरे सप्ताह से शुरू हो रहे विवाह मुहूर्त पर बुकिग को लोग अब कैंसल करा रहे हैं, जिनके घरों में पहले से शादी की तिथि निर्धारित हो चुकी थी, उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। मैरिज हॉल, बैंड-बाजों के संचालक परेशान नजर आ रहे हैं।
विद्वानों के मुताबिक, 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया का भी मुहूर्त पड़ रहा है। कई घरों में विवाह की तैयारियां हो चुकी थीं। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन को देखते हुए लोग शादी समारोह के लिए तैयारी अब नजर नहीं आ रही हैं। होटल एंड कैटरिग, फुल बगही, हलवाई आदि दुकानदारों के चेहरे के रंग भी उतर गए हैं। इस माह अप्रैल में 15, 20, 25 और 26 तारीख को शादी के लिए विशेष मुहूर्त हैं। मुहूर्त विशेष होने के कारण इन तिथियों को काफी संख्या में लोगों ने अपने बेटे एवं बेटियों की शादी तय की थीं। लॉक डाउन के कारण लोगों को तिथि परिवर्तित कर मई अंतिम सप्ताह एवं जून माह के शुभ मुहूर्त में सुनिश्चित करने पड़ रहे हैं।
इस बीच पता चला है कि कपकोट (बागेश्वर) की सीओ संगीता ने भी अपनी शादी टाल दी है। उनका विवाह कल 14 अप्रैल को होना था। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव, रोकथाम के लिए उन्होंने ड्यूटी को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि वह कोरोना को हराने के बाद विवाह करेंगी। विवाह-शादियों का सीजन था और किसानों को उम्मीद थी कि उनके उगाए गए फूलों की अच्छी-खासी कीमत मिलेगी और मुनाफा भी होगा, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने इन किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। आलम यह है कि बाजार में जो फूल पहले 100 रुपये प्रति स्टिक खरीदे जाते थे उन फूलों को आज 25 रुपये प्रति स्टिक में भी खरीदने वाला कोई नहीं है।