भारत-चीन के सैनिकों के बीच सोमवार रात लद्दाख की गालवन वैली में हुई हिंसक झड़प में 23 जवान शहीद हुए हैं, उन्हे हमारा शत-शत नमन। इनमें सबसे ज्यादा 13 शहीद बिहार की दो अलग-अलग रेजिमेंट के हैं। एक शहीद 12 बिहार रेजिमेंट और बाकी शहीद 16 बिहार रेजिमेंट के हैं। शहीद कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू भी 16 बिहार रेजिमेंट से थे। 16 बिहार रेजिमेंट से 12 जवान शहीद हुए हैं। उनके अलावा 3 पंजाब रेजिमेंट से 3, 3-मीडियम रेजिमेंट से 2, 12 बिहार रेजिमेंट से 1, 81-माउंट बिग्रेड सिग्नल कंपनी से 1, 81-फील्ड रेजिमेंट से 1 जवान ने शहादत दी है।
शहीद होने वाले जवान हैं सिपाही कुंदन कुमार (सहरसा-बिहार), सिपाही अमन कुमार (समस्तीपुर-बिहार), दीपक कुमार (रीवा-मध्यप्रदेश), सिपाही चंदन कुमार (भोजपुर-बिहार), सिपाही गणेश कुंजाम (सिंहभूम-पश्चिम बंगाल), सिपाही गणेश राम (कांकेर-छत्तीसगढ़), सिपाही कुंदन कुमार ओझा (साहिबगंज-झारखंड), सिपाही राजेश ओरांव (बीरभूम-पश्चिम बंगाल), सिपाही सीके प्रधान (कंधमाल-ओडिशा), नायब सूबेदार नंदूराम (मयूरभंज-ओडिशा), हवलदार सुनील कुमार (पटना-बिहार) और कर्नल बी. संतोष बाबू (हैदराबाद-तेलंगाना)।
3-पंजाब रेजिमेंट से शहीद होने वाले जवान हैं सिपाही गुरतेज सिंह (मनसा-पंजाब), सिपाही अंकुश (हमीरपुर-हिमाचल प्रदेश) और सिपाही गुरविंदर सिंह (संगरूर-पंजाब)। 3-मीडियम रेजिमेंट से शहीद होने वाले जवान हैं नायब सूबेदार सतनाम सिंह (गुरदासपुर-पंजाब) और नायब सूबेदार मनदीप सिंह (पटियाला-पंजाब)। 12-बिहार रेजिमेंट से सिपाही जयकिशोर सिंह ( वैशाली-बिहार), 81-माउंट बिग्रेड सिग्नल कंपनी से हवलदार बिपुल रॉय (मेरठ-उत्तर प्रदेश), 81-फील्ड रेजिमेंट से हवलदार के. पालानी (मदुरै-तमिलनाडु) शहीद हुए हैं।
कर्नल संतोष 18 महीने से लद्दाख में भारतीय सीमा की सुरक्षा में तैनात थे। वे कमांडिंग ऑफिसर थे और तेलंगाना के सूर्यापेट के रहने वाले थे। उनकी मां ने कहा- ”मैं दुखी हूं, क्योंकि इकलौता बेटा खो दिया। लेकिन उसने देश के लिए कुर्बानी दी, इस पर गर्व है।” 26 साल के शहीद कुंदन ओझा 17 दिन पहले ही पिता बने थे, लेकिन अपनी बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाए। उनके पिता रविशंकर ओझा किसान हैं। कुंदन 2011 में बिहार रेजिमेंट कटिहार में भर्ती हुए थे। तीन साल पहले उनकी शादी हुई थी। मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले दीपक सिंह भी चीन बॉर्डर पर हुई हिंसक झड़प में शहीद हो गए। मंगलवार देर रात सेना के अधिकारियों ने दीपक के शहीद होने की सूचना पिता को फोन पर दी। दीपक 21 साल के थे। 8 महीने पहले ही शादी हुई थी। उनकी पार्थिव देह गुरुवार को रीवा और फिर मनगवां इलाके के फरेहदा गांव लाई जाएगी। शहीद दीपक की शादी एक साल पहले हुई थी। आखिरी बार वे होली पर घर आए थे।
छत्तीसगढ़ के जवान गणेश कुंजाम भी शहीद हो गए। कांकेर के कुरुटोला गांव के रहने वाले गणेश की एक महीने पहले ही चीन के बॉर्डर पर पोस्टिंग हुई थी। हिंसक झड़प में गणेश बुरी तरह से घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका। मंगलवार देर शाम कैंप से एक अधिकारी ने जवान के चाचा तिहारू राम कुंजाम को फोन कर इसकी जानकारी दी। बेहद गरीब परिवार से आने वाले गणेश कुंजाम ने 12वीं के बाद ही साल 2011 में आर्मी ज्वॉइन कर ली थी। वह परिवार में इकलौते बेटे थे।