मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर को प्रतिष्ठित रिचर्ड डॉकिन्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जावेद यह पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। यह पुरस्कार विश्व प्रसिद्ध अंग्रेजी विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस के नाम पर दिया जाता है। वर्ष 2003 से दिया जा रहा यह पुरस्कार विज्ञान, रिसर्च, शिक्षा या मनोरंजन के क्षेत्र के ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को दिया जाता है, जो सार्वजनिक रूप से लॉजिकल होकर धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए प्रयास करता है।
जावेद अख्तर ने कहा, “मैं खुद को बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं। रिचर्ड डावकिन्स की लिखी पहली किताब ‘द सेल्फिश जीन’ को पढ़ने के बाद से ही मैं उनका मुरीद रहा हूं। मुझे उनकी ओर से यह बाते हुए एक ई-मेल प्राप्त हुआ कि मुझे द बोर्ड ऑफ सेंटर फॉर एन्क्वायरी (अमेरिका) की तरफ से इस पुरस्कार के लिए निर्विवाद रूप से चुन लिया गया है। इसी जगह से द रिचर्ड डावकिन्स फाउंडेशन भी संचालित किया जाता है। रिचर्ड डावकिन्स हमेशा से ही अंधविश्वास की बजाय वैज्ञानिक सोच की वकालत करते रहे हैं। मैंने उनकी सभी किताबें पढ़ी हैं और मुझे इन किताबों से विश्लेषणात्मक सोच और तार्किकता के दुश्मन रहे धार्मिक अंधविश्वासों को उजागर करने की मेरी सोच को और भी बल मिला है।”
जावेद अख्तर को भेजे गये प्रशंसा पत्र में लिखा गया है – “तार्किक सोच रखने, धार्मिक अंधविश्वासों पर सवाल उठाते रहने, मानव विकास को बढ़ावा देने व मानवीय सिद्धांतों को अहमियत देने के लिए” जावेद अख्तर को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा जा रहा है। जावेद अख्तर की पत्नी और अभिनेत्री शबाना आज़मी ने कहा कि आज के समय में जब धर्मनिरपेक्षता खतरे में है तो इस पुरस्कार का महत्व और बढ़ जाता है। आजमी ने एजेंसी को बताया, “मैं बहुत खुश हूं। मैं जानती हूं कि रिचर्ड डॉकिंस जावेद के लिए प्रेरणा देने वाले नायक की तरह रहे हैं। यह पुरस्कार इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि आज के समय में जब सभी धर्मों के धार्मिक कट्टरपंथी धर्मनिरपेक्षता पर हमले कर रहे हैं तो यह पुरस्कार इस मूल्य की रक्षा के लिए जावेद के प्रयासों को बताता है।”
इरफान हबीब, नंदिता दास, अनिल कपूर और दिया मिर्जा ने ट्वीट कर जावेद अख्तर को इस पुरस्कार के लिए बधाई दी है। रिचर्ड डॉकिन्स नास्तिक विचारों के समर्थक माने जाते हैं। वह “भगवान ने दुनिया बनाई” मत के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। वर्ष 2006 में प्रकाशित द गॉड डिलुज़न (“भगवान का भ्रम”) में उन्होंने कहा है कि किसी दैवीय विश्व-निर्माता के अस्तित्व में विश्वास करना बेकार है और धार्मिक आस्था एक भ्रम मात्र है। जनवरी 2010 तक इस किताब के अंग्रेज़ी संस्करण की 2,000,000 से अधिक प्रतियाँ बिक गई थीं। इसका दुनिया की 31 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। डॉकिंस की चर्चित किताब ‘द गॉड इल्यूज़न’ के लिए आलोचना की जाती है और साथ ही 2013 में उनके एक ट्वीट पर भी भारी बवाल मचा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि दुनिया में आज बुराई की लिए इस्लाम सबसे अधिक जिम्मेदार है। रिचर्ड दुनियाभर में तार्किक व वैज्ञानिक सोच और नास्तिकता को बढ़ावा देने के लिए जाने जानेवाले मशहूर बायोलॉजिस्ट और लेखक के रूप में जाने जाते हैं।