पहाड़ से मैदानी क्षेत्रों तक उत्तराखंड के सभी जिलो में कोरोना ने पांव पसार लिए हैं। उधर, राजकीय दून मेडिकल अस्पताल में मृत कोरोना संदिग्ध गर्भवती महिला की रिपोर्ट आज पॉजिटिव मिली है। यूपी के शामली के अरशद चौक निवासी इस 38 वर्षीय महिला को गत 20 मई को पटेलनगर स्थित एक अस्पताल से रेफर कर दून अस्पताल भर्ती किया गया था। वह सात माह की गर्भवती थी। उसको दस दिन से खांसी की भी दिक्कत थी और लगातार दौरे पड़ रहे थे। दून मेडिकल अस्पताल के डिप्टी एमएस और कोरोना के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि अब महिला के पति और भाई को भी अस्पताल में भर्ती किया गया है। दोनों के सैंपल भी कोरोना की जांच के लिए भेज दिए गए हैं। पुलिस को भी इसकी सूचना दे दी गई है। महिला का अंतिम संस्कार किस तरह से किया जाएगा, यह अब जिला प्रशासन और पुलिस तय करेगी। उधऱ, दून की मंडी में मिले कोरोना संक्रमित सब्जी विक्रेता के पिता की रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आई है।
उधर, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। अब तक सवा लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि, साढ़े तीन हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि, इन सबके बीच अभी भी अच्छी बात ये है कि हमारा रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है। 30 अप्रैल तक देश में कोरोना संक्रमितों का रिकवरी रेट 25 प्रतिशत से भी कम था, जो 23 मई तक बढ़कर 41 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया। 23 मई तक देश में 69 हजार 597 ही एक्टिव केस हैं जबकि, 51 हजार 783 लोग कोरोना से ठीक होकर डिस्चार्ज भी हो चुके हैं।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने विगत 8 मई को कोरोना संक्रमितों को छुट्टी देने को लेकर नई डिस्चार्ज पॉलिसी जारी की थी। इसमें सिर्फ गंभीर मरीजों को ही डिस्चार्ज से पहले कोरोना टेस्ट कराना जरूरी हो गया है। जबकि, ऐसे मरीज जो बिना लक्षण वाले हैं या अगर लक्षण भी हैं तो बहुत हल्के, तो ऐसे मरीजों को 10 दिन में बिना कोरोना टेस्ट के ही डिस्चार्ज किया जा सकता है। बशर्ते, उन्हें 3 दिन तक बुखार न आया हो। हालांकि, ऐसे मरीजों को डिस्चार्ज के बाद भी 7 दिन तक होम आइसोलेशन में ही रहना जरूरी है।
थोड़े गंभीर मरीजों को 10 दिन बाद तभी डिस्चार्ज किया जाएगा, जब उनका बुखार भर्ती होने के तीन दिन बाद ही उतर जाए और ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल बिना सपोर्ट के मैंटेन हो जाए। बिना लक्षण वाले, कम गंभीर और थोड़े गंभीर मरीजों को डिस्चार्ज से पहले कोरोना की जांच के लिए होने वाला आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना जरूरी नहीं है। पहले ऐसा होता था कि किसी मरीज का टेस्ट निगेटिव भी आया, तो भी उसे 14 दिन तक डॉक्टरों की निगरानी में रहने के बाद ही डिस्चार्ज किया जाता था। और जिन मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आती थी, उन्हें डिस्चार्ज करने से पहले कोरोना टेस्ट कराना होता था और टेस्ट निगेटिव आने पर ही डिस्चार्ज किया जाता था। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना के 69 प्रतिशत मरीजों में किसी तरह के लक्षण नहीं रहे। जब टेस्ट किया गया तो कोरोना पॉजिटिव आया। आज भी देश में सबसे ज्यादा मरीज बिना लक्षणों वाले ही मिल रहे हैं। इसीलिए सरकार ने ऐसे मरीजों को 10 दिन में डिस्चार्ज करने का फैसला लिया है। इसका एक कारण ये भी है कि ऐसे मरीज डिस्चार्ज होने के बाद कोरोना संक्रमण नहीं फैलाते।