गहराते आर्थिक संकट के बीच उत्तराखंड समेत पूरे देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में यजमानी वृत्ति के लिए कोरोना आपदा में धर्म-कर्म ऑनलाइन हो रहा है। हर महीने करोड़ों के चढ़ावे पर दृष्टि गड़ाए ये वृत्ति आने वाले समय में कितनी फलीभूत होगी, ये तो भविष्य ही बताएगा लेकिन सरकारों और धार्मिक संस्थाओं की इस दिशा में शुरू हुई ताज़ा पहल इस बात का साफ संकेत है कि एक ओर जहां बताया जा रहा है, कोरोना संकट से दुनिया में एक अरब लोग और गरीब हो जाएंगे, वही सत्ता प्रतिष्ठानों के लिए ऊंची कमाई का जरिया आस्था और अंधभक्ति ने इस काल-क्रम में भी अपना मार्ग ढूंढ निकाला है। अथाह दौलतमंद देश के मंदिरों के लिए अब ऑानलाइन राह आसान की जा रही है।
उत्तराखंड देवस्थानम् बोर्ड अवगत करा चुका है कि यात्रा शुरू न होने से भी लोग बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के ऑनलाइन दर्शन कर सकेंगे। जो लोग ऑनलाइन दर्शन करना चाहते हैं, उन्हें मंदिरों के गर्भगृह को छोड़ शेष परिसर के ऑनलाइन दर्शन एवं ऑडियो के माध्यम से पूजा-अर्चना की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सवाल उठता है कि चार धाम यात्रा से सिर्फ मंदिरों का ही भला नहीं हो रहा था बल्कि उस पर राज्य के लाखों लोगों की रोजी-रोटी निर्भर रही है। जब ऑनलाइन दर्शन होंगे तो उन लाखों लोगों की रोजी रोटी का क्या होगा। उत्तराखंड के जागेश्वर धाम में पूजा-पाठ को ऑनलाइन कर दिया गया है। अब श्रद्धालु जागेश्वर मंदिर समिति की वेबसाइट के माध्यम से पूजा-पाठ का पंजीकरण कर वीडियो कॉलिंग के माध्यम से अपनी पूजा को देख सकते हैं। धाम में ऑनलाइन पूजा शुरू हो गई है। पंडित ललित भट्ट ने अपने यजमान के वीडियो कॉलिंग के माध्यम से प्रथम पूजन किया।
वाराणसी (यूपी) में विगत 8 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वनाथ मन्दिर में ऑनलाइन दर्शन और पूजन का उद्घाटन किया। इसके माध्यम से अब देश विदेश में रह रहे भक्त महादेव की ऑनलाइन पूजा-अर्चन कर सकेंगे। बेंगलुरु में एक काफ़ी बड़ा आश्रम चलाने वाले योग गुरु श्री श्री रवि शंकर के दुनिया भर में लाखों फॉलोअर हैं। रविशंकर ने एक वीडियो मैसेज़ जारी करके कहा है कि उन्होंने इस महामारी से उपजे दुख के उपचार के लिए ध्यान लगाने का सुझाव दिया है।
महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अब तक धार्मिक स्थलों को आम जनता के लिए नहीं खोला गया है, इसके बावजूद भक्तों ने इंटरनेट के ज़रिए इन स्थानों तक पहुंचने की कोशिश की। राजस्थान के कोटा में एक दुकानदार खुर्शीद आलम ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के भक्त हैं जिनकी अजमेर स्थित दरगाह में हर साल लाखों लोग अपना माथा टेकते हैं। खुर्शीद कहते हैं, “मैं दरगाह तक नहीं जा सकता हूँ, इसलिए मैं बीच बीच में वीडियो कॉल करके उनका आर्शिवाद ले लेता हूँ। खुर्शीद जैसे कई लोग हैं जो इंटरनेट के ज़रिए अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान दरगाह में इंटरनेट के ज़रिए नज़राना करने की दरख्वास्तों में भारी उछाल आया है। सैयद गौहर कहते हैं कि ये ट्रेंड जारी रहेगा। वे कहते हैं, “हम इंटरनेट के ज़रिए सेवाएं देते हैं लेकिन मुझे लगता है कि कोरोना के बाद की दुनिया में इन सेवाओं की माँग में बढ़ोतरी होगी।
वेटिकन से पोप फ्रांसिस के मास और साप्ताहिक प्रवचनों को इंटरनेट पर प्रसारित किया जा रहा है। अमरीका में चर्च और इसराइल में सिनेगोग में धार्मिक अनुष्ठानों को इंटरनेट पर लाना शुरू कर दिया है। इस्लाम का सबसे पवित्र स्थान मक्का की ग्रांड मॉस्क भी बंद है। सिर्फ दिन में पांच बार अज़ान की लाइव स्ट्रीमिंग से मक्का की हवा में मौजूद परेशान करने वाला सन्नाटा टूटता है।
अचानक से बंद हो जाने की वजह से धर्मस्थलों को भक्तों से जो चंदा मिलता था उसमें भी भारी कमी आई है।
दिल्ली सिख गुरुद्वार प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा कहते हैं कि ये सबसे ज़्यादा चुनौतीपूर्ण समय है और वे हर रोज़ इंटरनेट और टीवी के माध्यम से चंदा देने की अपील कर रहे हैं। गुरुद्वारा जिस पैसे से अपना खर्च चलाता था, उसमें भारी कमी आई है लेकिन अभी भी दुनिया के कोने कोने से अलग-अलग धर्मों के लोग इंटरनेट के माध्यम से दान दे रहे हैं। इस तरह काम चल रहा है।