उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शासन द्वारा जारी मितव्ययता बाबत जारी शासनादेश पर सफाई दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा है कि प्रदेश में नई भर्तियों पर रोक नहीं लगाई गई है। केवल नए पदों के सृजन पर रोक लगाई गई है। पहले से सृजित पदों पर भर्ती पर रोक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जारी शासनादेश में भी यह स्पष्ट किया गया है।
इसके साथ ही चतुर्थ श्रेणी के पदों के साथ-साथ कतिपय विशिष्ट/तकनीकी कार्य हेतु सृजित वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलेक्ट्रिशन, प्लम्बर, मिस्त्री, लिफ्टमैन, ए.सी.-मैकेनिक एवं अन्य इसी प्रकार से रिक्त होने वाले पदों पर समस्त सेवाएं अधिप्राप्ति नियमावली, 2017 के अध्याय-5 बाह्य स्त्रोत से सेवाएं कराए जाने के अन्तर्गत नियम-61 से 64 तक स्थापित व्यवस्था के अनुरूप संविदा/आउटसोर्सिंग के आधार पर सम्पादित करवाया जानी है। चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नई भर्ती पर सातवें वेतन आयोग द्वारा पूर्व में ही रोक लगाई है।
मुख्यमंत्री ने युवाओं से स्वरोजगार की मुहिम से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की है। इसके माध्यम से प्रदेश के युवा अपना काम शुरू कर सकते हैं। इसमें ऋण और अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसमें ऑनलाइन भी आवेदन किया जा सकता है। अपने गांवों को वापस लौटे लोगों की आजीविका के लिए सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। युवा अपनी ऊर्जा का उपयोग स्वरोजगार के लिए करें, सरकार हर कदम पर आप सभी के साथ है।
यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने दी बड़ी राहत
उत्तर प्रदेश सरकार को 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के नौ जून के आदेश के क्रम में भर्ती प्रक्रिया जारी रख सकती है। न्यायमूर्ति पी के जायसवाल और डी के सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को 69 हजार सहायक बेसिक शिक्षकों के मामले में 3 जून की एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार 21 जून के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए चयन प्रक्रिया जारी रखने के लिए स्वतंत्र है।
सुप्रीम कोर्ट ने 37000 पद रोक रखे हैं। उतने पद छोड़कर शेष पर सरकार चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने को स्वतंत्र है। कोर्ट ने भर्ती परीक्षा पर गंभीर सवाल उठाए थे, वह किनारे हो गए। सरकार माडिफिकेशन में जा रही है। इसमें राहत मिलते ही भर्ती शुरू हो सकती है। दूसरी राहत अब प्रश्नों का मूल्यांकन नहीं होगा। सरकार कह चुकी है कि सुप्रीम कोर्ट में उसका पक्ष नहीं सुना गया, इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर शीर्ष अदालत से अपना आदेश संशोधित करने का अनुरोध करेगी।
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सरकार ने भर्ती का कटआफ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की अनिवार्यता के साथ तय की थी। इस आदेश को लेकर अभ्यार्थियों ने हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 3 जून को अपने फैसले में भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इस फैसले को सरकार ने डबल बेंच में चुनौती दी थी।