विधायकों की बगावत के मध्य प्रदेश सरकार संकट में है और कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले वह 16 बागी विधायकों की घर वापसी करवा ले। सियासी घमासान के बीच फ्लोर टेस्ट कराने के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। कांग्रेस की तरफ से कपिल सिब्बल ने जवाब देने के लिए वक्त मांगा है। राज्यपाल की ओर से दो बार आदेश दिए जाने के बाद भी कमलनाथ सरकार ने बहुमत परीक्षण नहीं कराया। इसके खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और 9 भाजपा विधायकों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। इस पर अदालत ने सभी पक्षकारों राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति को नोटिस देकर 24 घंटे में जवाब मांगा था। इसबीच, कांग्रेस ने भी एक अर्जी लगाई और बेंगलुरु में ठहरे 22 बागी विधायकों को वापस लाने का निर्देश देने की मांग की।
कांग्रेस विधायकों की पैरवी कर रहे वकील दुष्यंत दवे ने कहा- मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया। चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस ने उसी दिन विश्वास मत हासिल कर लिया था। बहुमत के साथ 18 महीने सरकार चलाई। भाजपा बलपूर्वक सरकार को अस्थिर कर लोकतंत्र मूल्यों को खत्म करना चाहती है। उसने 16 विधायकों को अवैध हिरासत में रखा है। इस पर बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा- ये झूठ है, कोई हिरासत में नहीं है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस से बागी हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के 22 विधायक 10 दिन से बेंगलुरु में हैं। फ्लोर टेस्ट को लेकर जारी घमासान के बीच कांग्रेस अब बागियों को मनाने की कोशिश में है। इसके लिए बुधवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार के कुछ मंत्री बेंगलुरु पहुंच गए। लेकिन कर्नाटक पुलिस ने उन्हें रमादा होटल के बाहर ही रोक दिया। इसके बाद सभी कांग्रेस नेता सड़क पर धरने पर बैठ गए। पुलिस ने दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया समेत करीब 10 कांग्रेस नेताओं को हिरासत में ले लिया। इन नेताओं को अमृताहल्ली थाने ले जाया गया। दिग्विजय ने कहा है कि अब वे थाने में भूख हड़ताल करेंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पुलिस की इस कार्रवाई को हिटलरशाही बताया है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मैं भी उन विधायकों से मिलने बेंगलुरु जाऊंगा।
दिग्विजय सिंह ने कहा, ”पुलिस हमें विधायकों से मिलने नहीं दे रही है। मैं मध्य प्रदेश का राज्यसभा उम्मीदवार हूं। 26 तारीख को राज्यसभा चुनाव के लिए विधानसभा में वोटिंग होनी है। हमारे विधायकों को यहां होटल में बंधक बनाकर रखा गया है। वे हमसे बात करना चाहते हैं, लेकिन उनके मोबाइल छीन लिए गए। भाजपा नेता अरविंद भदौरिया और कुछ गुंडे अंदर हैं। विधायकों की जान को खतरा है। मेरे पास हाथ में ना बम है, ना पिस्तौल और ना कोई हथियार है। फिर भी पुलिस मुझे क्यों रोक रही है। मुझे मिलवा दें, उसके बाद चला जाऊंगा। इसमें क्या परेशानी है।”
पुलिस हिरासत में दिग्विजय ने कहा, ”बेंगलुरु में तो भाजपा की सरकार है। पुलिस भी उन्हीं के इशारे पर काम कर रही है। मुझे तो भाजपा के राज में भी उनकी पुलिस के बीच डर नहीं लग रहा। लेकिन भाजपा नेताओं को किस बात का डर है, क्या वे खुद अपनी पुलिस से डर रहे हैं? मैं यहां गांधीवादी तरीके से अपने विधायकों से मिलने आया हूं। उम्मीद है कि वे जल्द लौट जाएंगे। 5 विधायकों से मेरी बात हुई तो उन्होंने बंधक होने की जानकारी दी। होटल में 27 घंटे पुलिस का पहरा है। विधायकों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।”
दिग्विजय के अलावा मंत्री तरुण भनोत, सज्जन सिंह वर्मा, हर्ष यादव, विधायक कांतिलाल भूरिया, आरिफ मसूद, कुणाल चौधरी भी बेंगलुरु गए हैं। यहां पहुंचने पर कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार उन्हें लेने पहुंचे थे। शिवकुमार ने येदियुरप्पा सरकार पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमारी भी अपनी रणनीति है। मौजूदा हालात में मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता यहां अकेले नहीं है। मैं हमेशा उनके साथ खड़ा हूं। हम चाहते हैं कि कर्नाटक में कानून व्यवस्था नियंत्रण में रहे।
मुख्यमंत्री कमलनाथ भी राज्यपाल को पत्र लिखकर बेंगलुरु से 22 विधायकों को वापस लाने की मांग कर चुके हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने उनके विधायकों कोे बंधक बना रखा है। उनके लौटने तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जा सकता है। मंगलवार को बागी विधायकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री कमलनाथ पर गंभीर आरोप लगाए थे। इससे पहले जीतू पटवारी समेत कमलनाथ सरकार के 4 मंत्री बागी विधायकों से मिलने की कोशिश कर चुके हैं। तब पुलिस ने पटवारी समेत अन्य मंत्रियों को रिसॉर्ट के बाहर ही रोक दिया था। इस पर उनकी पुलिस से झड़प भी हुई थी, जिसके बाद सभी मंत्रियों को हिरासत में ले लिया गया था।