आठ राज्यों में राज्यसभा की 19 सीटों पर वोटिंग के बाद काउंटिंग चल रही है। मध्य प्रदेश की 3 में से दो सीटें भाजपा को मिली हैं और एक कांग्रेस को। भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह जीते हैं। कांग्रेस से दिग्विजय को जीत मिली है। राजस्थान की 3 में से 2 सीटें कांग्रेस के पास गई हैं। पार्टी के केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी जीते। भाजपा को एक सीट मिली, पार्टी के राजेंद्र गहलोत को जीत मिली।
आंध्र प्रदेश की 4 सीटों पर सीएम जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को जीत मिली। दस राज्यों की 24 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना था, लेकिन 2 राज्यों की 5 सीटों पर बिना विरोध कैंडिडेट चुन लिए गए थे। इसलिए 19 सीटों पर वोटिंग हुई। क्रॉस वोटिंग के डर से पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ दो बसों में पार्टी के विधायकों को लेकर विधानसभा पहुंचे। इससे पहले कमलनाथ के घर पर मॉक पोल हुआ, जिसमें कांग्रेस विधायकों को बताया गया कि उन्हें किस कैंडिडेट को वोट देना है।
राजस्थान में 200 में से 198 विधायकों ने वोट डाले। कांग्रेस के विधायक वाजिब अली के वोट डालने पर दूसरे विधायकों ने आपत्ति जताई। अली विदेश से दिल्ली पहुंचे और फिर जयपुर आकर वोट डालने पहुंच गए। उन्होंने पीपीई किट पहनकर वोट डाला। मंत्री भंवरलाल मेघवाल और विधायक गिरधारी लाल तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वोट नहीं डाल पाए। 4 सीटों के लिए गुजरात में 172 विधायकों में से 170 विधायकों ने वोट डाला। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायकों ने वोट नहीं डाला। भाजपा के 103, कांग्रेस के 65, एनसीपी के 1 विधायक और एक निर्दलीय विधायक ने वोट डाले।
मणिपुर में भाजपा अल्पमत में, कांग्रेस ने पेश किया सरकार बनाने का दावा
उधर, मणिपुर में भाजपा की गठबंधन सरकार संकट में है। डिप्टी सीएम वाई. जॉय कुमार सिंह समेत 6 विधायकों के इस्तीफ के बाद कांग्रेस ने राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। इस बीच कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह को अपना नया नेता चुना है। कांग्रेस प्रवक्ता निंगोंबम भूपेंद्र मेइतेइ ने कहा कि मणिपुर में जल्द ही तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह नए मुख्यमंत्री होंगे। प्रवक्ता भूपेंद्र ने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार का गिरना भगवा पार्टी के पतन का प्रतीक है। नेशनल पीपल्स पार्टी के नेता और डिप्टी सीएम वाई. जॉय कुमार सिंह के साथ भाजपा के तीन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसमें विधायक एस. सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेनदई शामिल हैं। इसके अलावा टीएमसी विधायक टी. रॉबिंद्रो सिंह, एन. कायसी, एल. जयंता कुमार सिंह, लेतपाओ हाओकिप और निर्दलीय विधायक असबउद्दीन ने भाजपा गंठबंधन वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया है। सभी ने कांग्रेस को समर्थन दिया है।
मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं। 2017 में यहां विधानसभा चुनाव हुआ था। इसमें कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को 21 सीटें मिली थीं। एनपीपी और नगा पीपल्स फ्रंट के 4 विधायक चुनाव जीते थे। एलजेपी, टीएमसी और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक सीट हासिल की थी। सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने भाजपा को समर्थन दे दिया। इसके अलावा एक कांग्रेस विधायक टी. श्यामकुमार ने भी सरकार को समर्थन दे दिया। इस तरह से कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई थी। जबकि भाजपा ने गठबंधन की सरकार बना ली। कुछ दिनों बाद कांग्रेस के 7 और विधायकों ने भी भाजपा का दामन थाम लिया।
इस तरह से भाजपा गठबंधन के पास विधानसभा में 40 सदस्यों की संख्या हो गई। हालांकि, कांग्रेस ने अपने सभी 8 पूर्व विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दायर कर दी जो विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है। अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा खेमे के 11 विधायक वोटिंग में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में गए 7 विधायकों के मामले में हाईकोर्ट ने उन्हें विधानसभा में प्रवेश करने से मना कर दिया है। ऐसी स्थिति तब तक कायम रहेगी, जब तक विधानसभा अध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला इन विधायकों पर कोई फैसला नहीं ले लेतीं। इसके अलावा तीन विधायक इस्तीफा भी दे चुके हैं जबकि विधायक श्यामकुमार को अयोग्य घोषित किया जा चुका है। ऐसे में 49 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा गंठबंधन के पक्ष में केवल 22 वोट पड़ेंगे जबकि कांग्रेस के खाते में 26 वोट आ सकते हैं।