किसानों के लिए मार्च का महीना तबाही लाने जैसा है। बेमौसम की भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के चलते गेहूं, आलू, प्याज, चना, सरसों समेत रबी की सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। तो आकाशीय बिजली गिरने से अकेले यूपी में पिछले 24 घंटे में 28 लोगों की मौत हुई है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ समेत राज्यों में मौसम के बदलाव ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इस सीजन में पहली भारी बारिश 29 फरवरी को हुई, उसके बाद 3, 4 और 5 मार्च से लेकर 14 मार्च तक पिछले 15 दिनों में 3 बार अलग-अलग वक्त और अंतराल में हुई बारिश खड़ी फसलें बर्बाद कर दी हैं। यूपी समेत कई राज्यों में की फसल को भी नुकसान पहुंचा है।
किसानों के खेतों में हुई इस तबाही का असर आने वाले दिनों में बाजार और आपकी किचन के बजट पर भी नजर आएगा। फसलों का नुकसान होने से कई खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं। तस्वीरों में देखिए कैसे बर्बाद हुई हैं। मौसम में आए बदलाव के चलते न सिर्फ किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ बल्कि कई राज्यों में लोगों की जान भी चली गई। अकेले उत्तर प्रदेश में 13 और 14 मार्च को आकाशीय बिजली गिरने से 28 किसानों की 24 घंटे के अंदर मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश में बीते एक हफ्ते में दो बार ओले गिरने और बारिश होने की वजह से किसानों की हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं। इनमें आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। असमय हुई मूसलाधार बारिश और ओलों ने कई जगह पर आम को क्षति पहुंचाई है। कहीं आम के बौर क्षतिग्रस्त हो गए हैं तो किसी-किसी स्थान पर खिलते हुए बोरों में मौसम के कारण परागण की समस्या रही है। यह स्थिति लगातार कई दिनों से बादल और कम तापक्रम के कारण परगंकर्ता की कमी से हुई है।
आम के बौर को अपने विकास के लिए कुछ ही दिन मिलने वाले हैं क्योंकि मार्च में 20 तारीख के बाद तापक्रम के बढ़ने की संभावना है और अधिक तापक्रम होने पर बौर अपनी बढ़वार ठीक से नहीं कर पाते हैं। डॉ. राजन ने बताया कि अत्यधिक सर्दी के कारण निकलने वाली बोर में पत्तियों जैसी संरचनाये भी पाई जा रही हैं, इसे वैज्ञानिक मिक्स्ड पेनिकल कहते हैं। यह आमतौर पर बोर के विकास और निकलते समय अनुचित तापक्रम के कारण होता है। इस प्रकार के मिश्रित बौर अधिक फल देने में सक्षम हैं। आम का बौर आज विभिन्न किस्मों और स्थानों पर भिन्न अवस्थाओं में है। दशहरी के बौर खिलना प्रारंभ हो गया है, जबकि चौसा, आम्रपाली, मल्लिका, सफेदा आदि देर से पकने वाली प्रजातियों के फूल खिलना शुरू होने में अभी समय शेष है।
उधर, कोरोना वायरस की वजह से बासमती की कीमतें गिर गई हैं। बासमती चावल और सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की होली इस साल फीकी रही। कोरोना वायरस के कारण इन फसलों का निर्यात नहीं हो पा रहा, खपत कम हो गई है। जिस कारण मंडियों में इनकी कीमतें लगभग 15 से 25 फीसदी तक कम हो गई हैं जिसका सीधा नुकसान किसानों को हो रहा है।
इस समय बासमती की जो कीमत मिल रही है 10 साल पहले भी वही थी। मार्च- अप्रैल का खर्चा इन्हीं पैसे से चलता है क्योंकि इस दौरान कोई दूसरी फसल होती नहीं। कोरोना वायरस की वजह से बासमती चावल के निर्यात में ऐसे समय में कमी आई है जब व्यापारी उम्मीद कर रहे थे कि ईरान के नये साल के मौके पर निर्यात बढ़ेगा। ईरान में 20 मार्च से नौरोज त्योहार मनाया जाता है।