उत्तराखंड के गांवों में प्रवासियों को क्वारंटीन करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा है। नैनीताल हाईकोर्ट ने बाहरी प्रदेशों से उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों को जिलों और तहसीलों के स्तर पर प्रसाशन द्वारा क्वारन्टीन नहीं करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर आज शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, डायरेक्टर जनरल स्वास्थ्य, बागेश्वर के जिलाधिकारी और सीएमओ, गरुड़ के एसडीएम और बीडिओ सहित केंद्र सरकार से दो जून तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अगली सुनवाई के लिए दो जून की तिथि नियत की गई है।
बागेश्वर जिले के गरुड़ ब्लॉक के ग्राम प्रधानों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मामले को न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया व न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की खंडपीठ को रेफर कर दिया था। सुनवाई की डेट 29 मई यानी आज शुक्रवार को नियत की गई थी। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
अधिवक्ता डीके जोशी ने इस सम्बंध में जनहित याचिका दायर कर कोर्ट को बताया है कि गरुड़ बागेश्वर के ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी को 20 मई को ज्ञापन दिया था कि प्रदेश में बाहर से आने वाले प्रवासियों को जिला स्तर व तहसील स्तर पर क्वारंटाइन किया जाए और उनकी देखभाल प्रशासन करे। ग्राम प्रधान उनकी सहायता करेंगे। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि अगर प्रशासन ऐसा नहीं करता है तो गरुड़ के समस्त ग्राम प्रधान सामूहिक रूप से स्तीफा देंगे।
प्रवासियों को क्वारंटाइन करने के गांव के पंचायत भवनों और स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर बनाय गया है। इसके रख-रखाव व देखभाल की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों पर थोप दी गई है, जबकि इसके लिए अब तक अलग से किसी बजट का भी प्रावधान नहीं किया गया है।