प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ जोड़ कर अपील की थी कि कोई भी नियोक्ता अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम करने वाले लोगों को कोरोना आपदा के दौर में नौकरी से न निकाले लेकिन देश की मीडिया कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी करने लगी हैं। इंडियन एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपने स्टाफ की सैलरी घटा दी है। न्यूजनेशन चैनल ने अपनी अंग्रेजी डिजिटल सेवा में काम करने वाले सभी 16 लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे बड़े मीडिया हाउस ने संडे मैगजीन की अपनी पूरी टीम को काम से बाहर कर दिया है। मुंबई में पत्रकारों के एक संघ, बृहनमुंबई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने इस समय इतने सारे मीडियाकर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने को न केवल अवैध और अनैतिक बल्कि मानवता के खिलाफ बताया है।
पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने एक चिट्ठी लिख कर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से अनुरोध किया है कि मंत्रालय सभी मीडिया संस्थानों को सलाह जारी करे कि वे अपने कर्मचारियों की छंटनी न करें और उन्हें समय पर वेतन दें। पिछले दिनो मीडिया कंपनियों से निकाले गए कर्मचारियों को न तो इसका नोटिस दिया गया और न ही नोटिस पीरियड सर्व करने का मौका मिला है। कोरोना के बहाने कुछ कंपनियां एक महीने की बेसिक सैलरी देकर उनकी छुट्टी कर रही हैं। डिजिटल मीडिया वेबसाइट चलाने वाली कंपनी द क्विंट ने फिलहाल अपने आधे कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया है।
तिवारी ने कहा है कि यह किसी संस्था-विशेष, न्यूज चैनल-विशेष के बारे में नहीं है बल्कि यह ध्यान दिलाने के लिए है कि पूरी इंडस्ट्री में इससे जो ट्रेंड फैल रहा है, उसे रोका जा सके। श्रम एवं रोजगार मामलों का मंत्रालय एक एडवाइजरी नोटिस जारी कर चुका है जिसमें नौकरी से न निकाले जाने और वेतन न काटने की अपील की गई है। इसमें कहा गया है कि इन परिस्थितियों में कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाना, या पैसे काटना इस संकट को और गहराएगा और न केवल उनकी आर्थिक बल्कि महामारी से लड़ने की हिम्मत भी तोड़ेगा।