वैटिकन के सेंट पीटर्स बैसिलिका की सभा में पोप ने कहा कि निर्णय लेने में महिलाओं को शामिल करना पूरी मानवता को शांतिपूर्ण और एकीकृत रखने के लिए बेहद अहम है। विज्ञापनों में, मुनाफे के लिए या पॉर्नोग्राफी जैसे अपवित्र बलिवेदी पर महिलाओं के शरीर की कितनी बार कुर्बानी दी जाती है। जीवनदायिनी महिलाओं को लगातार अपमानित किया जाना, पीटना, बलात्कार, देह व्यापार में धकेलना या गर्भपात के लिए मजबूर करना बहुत ही दुखद है। दूसरी तरफ, एक यह भी सूचना मिल रही है कि पोप फ्रांसिस नए साल की पूर्वसंध्या पर वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स स्क्वायर पर उस समय भड़क गए जब एक महिला ने उनका हाथ पकड़ लिया और खींचने की कोशिश की। इससे नाराज पोप ने महिला के हाथ पर मार दिया।
पोप फ्रांसिस ने महिलाओं की विजय को पूरी मानवता की जीत बताने के बावजूद अपने संदेश में उन्होंने उस कैथोलिक चर्च में महिलाओं को लेकर व्याप्त पक्षपातपूर्ण पूर्वधारणाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिसके प्रमुख वह खुद हैं। वैटिकन के नियमों के अनुसार महिलाएं पादरी नहीं बन सकतीं। कैथोलिक चर्च के कुछ रूढ़िवादी तत्व ऐसे स्थानीय चर्चों की निंदा करते हैं, जो महिलाओं को ‘आल्टर सर्वर’ बनने देते हैं। आल्टर सर्वर क्लर्गी का वह सदस्य होता है, जो ईसाइयों की प्रार्थना करने की रीति का हिस्सा बनता है।
पोप ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध किसी भी तरह की हिंसा प्रभु को अपवित्र करना है। पोप बनने के समय से ही हर संभव मंच से पोप फ्रांसिस ने महिलाओं के अधिकारों की वकालत की है। अप्रैल में पोप ने रोमन कैथोलिक चर्च से कहा था कि उसे महिलाओं पर पुरुषों के प्रभुत्व और यौन दुर्व्यवहारों के इतिहास को स्वीकार करना चाहिए। इसके अलावा पोप ने अपने दिल के करीब के कुछ और मुद्दों जैसे आप्रवासन पर भी बात की और कहा जो महिलाएं अपने बच्चों का खर्च चलाने के लिए पैसे कमाने बाहर के देशों तक में चली जाती हैं, उनका सम्मान होना चाहिए न कि उन्हें अपमानित किया जाए। पोप ने कहा कि आजकल तो मातृत्व को भी नीचा दिखाया जाता है क्योंकि हमें केवल आर्थिक वृद्धि में ही दिलचस्पी रह गई है।