जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस के विशेष जांच दल ने वीडियो और अन्य सबूतों के आधार पर नौ छात्रों की पहचान का दावा किया है, जिनमें जेएनयू की छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष का भी नाम गिनाया गया है। जांच का नेतृत्व कर रहे दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय तिरकी ने नौ लोगों की पहचान ज़ाहिर की है. पुलिस ने इनमें से सात छात्र वामपंथी दलों से जुड़े बताए हैं। पुलिस का कहना है कि अभी तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है और जिनकी पहचान सामने आई है उन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे। पुलिस ने वामपंथी संगठनों से जुड़े इन सात छात्रों के नाम ज़ाहिर किए हैं – चुनचुन कुमार, जेएनयू के पूर्व छात्र हैं, कैंपस में ही रहते हैं, पंकज मिश्रा, माही मांडवी हॉस्टल में रहते हैं, आइशी घोष, अध्यक्ष जेएनयूएसयू, छात्र वास्कर विजय, सुचेता तालुकदार, स्टूडेंट काउंसलर, प्रिया रंजन, बीए तृतीय वर्ष, डोलन सामंत, स्टूडेंट काउंसलर। पुलिस ने एबीवीपी से जुड़े भी दो छात्रों के नाम बताए हैं – योगेंद्र भारद्वाज, संस्कृत में पीएचडी के छात्र और विकास पटेल, एमए कोरियन भाषा।
पुलिस के मुताबिक ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ़्ट’ नाम का व्हाट्सएप ग्रुप भी जांच के दायरे में हैं। इस ग्रुप में क़रीब साठ लोग थे। पुलिस के मुताबिक़ ये व्हाट्सएप ग्रुप हमले के वक़्त ही बनाया गया था। पुलिस ने योगेंद्र भारद्वाज को इस ग्रुप का एडमिन बताया है। जेएनयू में हुए हमलों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने कुल तीन मुक़दमे दर्ज किए हैं। डीसीपी जॉय तिरकी के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस को जेएनयू के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज नहीं मिली है क्योंकि ये कैमरे काम नहीं कर रहे थे। पुलिस ने इसकी वजह सर्वर रूम में की गई तोड़फोड़ को बताया है। पुलिस का कहना है कि हमलावरों की पहचान के लिए छात्रों, गार्डों, शिक्षकों और यूनिवर्सिटी परिसर में रहने वाले लोगों से बात की गई है। जो वीडियो पुलिस को मिले हैं उनके आधार पर संदिग्धों की पहचान की जा रही है।
जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कहा है- ‘मैंने किसी तरह का कोई हमला नहीं किया है, न मेरे हाथ में कोई रॉड थी। मैं नहीं जानती कि दिल्ली पुलिस को ऐसी जानकारी कहां से मिल रही है। मुझे भारत के क़ानून में पूरा विश्वास है और मैं जानती हूं कि मैं ग़लत नहीं हूँ। अभी तक मेरी शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है। क्या मुझ पर जो हमला हुआ है वो जानलेवा नहीं है? दिल्ली पुलिस क्यों पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही है। सुरक्षा कारणों की वजह से अगर मैं छात्रों के पास पहुंचती हों तो क्या ये ग़लत है? पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। जो वीडियो मीडिया में दिखाया जा रहा है, मैं उस पर पहले ही स्पष्टीकरण दे चुकी हूं। मैं छात्रसंघ अध्यक्ष के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी निभा रही थी। मैं छात्रों से मिलने पहुंची थी। अगर सुरक्षाकर्मी काम करते तो हमें जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। क्यों पुलिस की जगह छात्रों ने हमें बुलाया? नक़ाब पहन कर लोग यूनिवर्सिटी में घुस कैसे गए, लड़कियों के हॉस्टल में हमलावर कैसे घुसे, अगर सुरक्षा इतनी मज़बूत थी।’
पुलिस का कहना है कि वामपंथी छात्र संगठनों ने यूनिवर्सिटी में चल रही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की और इसके लिए यूनिवर्सिटी के सर्वर रूम में तोड़फोड़ की। जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने सवाल उठाया कि हमले के दौरान उन्होंने पुलिस को बुलाने की कोशिश की लेकिन पुलिस दो घंटे तक कैंपस के बाहर खड़ी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि जेएनयू में हिंसा एक सोची-समझी साज़िश के तहत की गई थी जिसमें यूनिवर्सिटी प्रशासन और देश का गृहमंत्रालय शामिल है। वहीं पुलिस की जांच पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि पुलिस ने सच्चाई सामने रख दी है। ये आज साफ़ हो गया है कि मुख्य दोषी कौन है। मैं गुज़ारिश करूंगा कि छात्र शिक्षा सत्र को चलने दे। मां-बाप ने उन्हें पढ़ने के लिए भेजा है, मारा मारी करने के लिए नहीं भेजा है। राजनीति के लिए छात्रों का इस्तेमाल करने वाले दलों को जनता ने नकार दिया है। छात्रों को अपना राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होने देना चाहिए।
इसी बीच जेएनयू के वाइस चांसलर प्रोफ़ेसर जगदेश कुमार ने एचआरडी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात की और बताया कि यूनिवर्सिटी में माहौल सामान्य हो गया है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी की सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत की गई है। कैंपस शांतिपूर्ण है, सभी कार्य चल रहे हैं। 13 जनवरी से कक्षाएं भी चलने लगेंगी।
पुलिस ने अभी ये नहीं बताया है कि जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष पर हमला किसने किया।
पांच जनवरी की सुबह साढ़े ग्यारह बजे रजिस्ट्रेशन कराने आए चार छात्रों को एक समूह ने पीटा। इस दौरान बीच बचाव करने आए सुरक्षा गार्डों को भी पीटा गया। दोपहर तीन बजकर पैंतालीस मिनट पर इन चार संगठन के छात्रों पेरियार हॉस्टल में घुसकर हमला किया। इस दौरान हमलावरों के चेहरे ढँके हुए थे। हमले में जेएनयू की छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल थीं। इस घटना के संबंध में एफ़आईआर संख्या छह दर्ज की गई है। इस हमले में घायल छात्रों को एम्स ट्रॉमा सेटंर ले जाया गया। पुलिस का कहना है कि उसे जांच में पता चला है कि निशाना बनाकर हमला किया गया है। इस दौरान साबरमती टी प्वाइंट पर एक पीस मीटिंग भी हुई, जिसमें क़रीब सवा सौ लोग शामिल थे। इस पीस मीटिंग पर भी हमला किया गया। पेरियार हॉस्टल और साबरमती हॉस्टल में चुन-चुनकर कमरों को निशाना बनाया गया। पुलिस ने इस हमले के संबंध में भी एफ़आईआर दर्ज की है। जेएनयू कैंपस में नक़ाबपोश हमलावरों का एक और वीडियो सामने आया है जिस पर पुलिस ने कोई टिप्पणी नहीं की है। एबीवीपी के हिंसा में शामिल होने के सवाल पर दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि ये हमारी पहली प्रेस कांफ्रेंस है। अभी आगे और भी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच पूरी नहीं हुई है।
इस बीच, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने शुक्रवार को जेएनयू के कुलपति और छात्रसंघ के नेताओं के साथ दो अलग-अलग बैठकें कीं। बैठकों के दौरान निर्णय लिया गया कि फिलहाल जेएनयू में बढ़ी हुई फीस नहीं वसूली जाएगी। बढ़ी हुई फीस का भुगतान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) करेगा। एमएचआरडी के सचिव अमित खरे ने बताया कि बढ़ी हुई फीस के अलावा छात्रों से फिलहाल हॉस्टल के चार्जेज भी नहीं लिए जाएंगे। खरे ने राष्ट्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन डॉ. डी.पी. सिंह से भी मुलाकात की, और बढ़ी हुई फीस तथा हॉस्टल चार्जेज का भार यूजीसी से वहन करने का उन्होंने आग्रह किया।