पं. गोविद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने गेहूं सहित 14 प्रजातियां विकसित कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नई प्रजातियों की खास बात यह है कि वर्तमान की प्रजातियों की तुलना में अधिक उत्पादन होगा। साथ ही प्रजातियों की रोग व कीटों से प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है। कुपोषण मिटाने में भी कारगर साबित होगी। यह प्रजातियां राज्य के जलवायु के लिए मुफीद है।
कृषि सचिव की अध्यक्षता में राज्य प्रजाति विमोचन समिति की बैठक में सभी 14 प्रजातियों का लोकार्पण किया गया। इसमें गेहूं की तीन किस्में यूनिवर्सिटी ऑफ पंत यानि यूपी. 2903, यूपी 2938, यूपी. 2944, मक्का की दो किस्में डीच 291, डीच 296, चने की तीन किस्मों में पंत चना छह, पंत चना आठ, पंत चना नौ, अरहर की एक प्रजाति पंत अरहर सात, चारे वाली जवार की चार किस्मों में पंत चरी 12, 13, 14,15 व चारे वाली जई की एक किस्म पंत चारा जेई चार है। गेहूं की किस्मों में यूपी 2903 अच्छी उपज के साथ अधिक प्रोटीन, जस्ता व लौह से युक्त है। गेहूं, मक्का व दलहन की विमोचित किस्मों की वर्तमान किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन क्षमता के साथ रोगों व कीटों के प्रति अवरोधित, पोषक तत्वों व उच्च गुणवत्ता वाली है। विवि के शोध निदेशक डॉक्टर अजीत सिंह नैन ने बताया कि यह प्रजाति उत्पादन बढ़ाने में सहायक होगी। साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण कुपोषण दूर करने में कारगर साबित होगी। ज्वार तथा जई की किस्में पशुओं के लिए अधिक हरा चारा उपलब्ध होगी। बैठक में निदेशक शोध तथा विभिन्न फसलों के वरिष्ठ प्रजनक ने भाग लिया।
गेहूं प्रजाति विकसित करने वालों में डॉ. जय प्रकाश जायसवाल, डॉ. स्वाति, डॉ. अनिल कुमार तथा डॉ. राजेंद्र सिंह रावत, दलहन की डॉ. रविद्र कुमार पवार, डॉ. एसके वर्मा, डॉ. अंजू अरोरा, मक्का की डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. एसएस वर्मा, चारे वाली ज्चार की डॉ. पीके पांडेय व डॉ. पीके श्रोत्रिया व जई की डॉ. वीरेंद्र प्रसाद, डॉ. इंद्रदेव पांडेय, डॉ. जेएस वर्मा हैं। विवि के कुलपति डॉ. तेज प्रताप व शोध निदेशक डॉ. अजीत सिंह नैन ने वैज्ञानिकों की इस उपलब्धियों की सराहना की।
पंत विवि के वैज्ञानिकों ने काफी मेहनत कर प्रजातियां विकसित की है। एक प्रजाति विकसित करने में छह से आठ साल लग जाते हैं। इसके बाद तीन से चार साल तक किसानों व अन्य स्तर पर प्रजातियों का ट्रायल होता है कि प्रजाति की उत्पादन क्षमता कितनी है, मौसम के अनुरुप है या नहीं, प्रतिरोधक क्षमता कितनी है। ट्रायल में जब प्रजातियां पास होती हैं तो विमोचन किया जाता है।