कोरोना संकट में भारतीय रेलवे भी कुछ कम मुश्किलों से नहीं गुजर रही है। वही इस समय देश के करोड़ों प्रवासियों का घर लौटने का सबसे मजबूत भरोसा बनी हुई है। ऐसे हालात से निबटने के लिए रेलवे बोर्ड ने कोरोना मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड में बदले गए यात्री डिब्बों को अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में फिर से इस्तेमाल करने का फैसला किया है। बताया जाता है कि इस समय आइसोलेशन वार्ड में बदले गए लगभग तीन हजार डिब्बों को फिर से रेलगाड़ी में जोड़ने के लिए एक हफ्ते में तैयार हो जाएंगे। इस संबंध में रेलवे बोर्ड अपने सभी जोनल रेलवे दफ्तरों को लिखित तौर पर सूचित कर चुका है।
गौरतलब है कि भारतीय रेलवे ने हाल ही में कोरोना आइसोलेशन वार्ड के रूप में 5231 कोच बनाए थे। उन्ही में से 3000 हजार डिब्बे दोबारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में इस्तेमाल करने का मन बनाया जा रहा है। आइसोलेशन वार्ड बनाते वक्त डिब्बे के अंत में बने दो शौचालयों को मिला कर एक बना दिया गया था ताकि उसमें नहाने की भी सुविधा हो जाए। यही नहीं, एक रोगी का दूसरे रोगी से संपर्क नहीं हो, इसलिए कूपे में परदे की भी व्यवस्था की गई थी। इसके साथ ही कूपे में अतिरिक्त स्विच की व्यवस्था की गई थी ताकि उसमें मच्छर भगाने वाली मशीन लगायी जा सके। कुछ कोच में पावर स्विच भी लगाया गया था ताकि जरूरत पड़ने पर उसमें वेंटीलेटर भी लगाया जा सके। अब इन सब अतिरिक्त सुविधाओं को हटा दिया जाएगा।
रेलवे ने भले ही देश भर में 5200 से भी ज्यादा रेल डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड के रूप बदला हो, लेकिन अभी तक उनमें से एक भी डिब्बे का इस तरह से उपयोग नहीं हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि या तो उन डिब्बों का रोगियों के लिए उपयोग हो या फिर श्रमिकों की ढुलाई में उपयोग हो। ऐसे कहीं खड़े रखने का कोई औचित्य नहीं। रेलवे ने फैसला किया है कि आगामी एक जून से देश के विभिन्न हिस्सों में 200 मेल/एक्सप्रेस स्पेशल रेलगाड़ी चलनी है। लंबी दूरी की किसी भी गाड़ी के लिए दो से तीन रैक तो साधारण सी बात है। दिल्ली से डिब्रूगढ़ जाने वाली ट्रेन के लिए तो पांच से छह रैक रखना पड़ता है। एक रैक में 24 डिब्बे भी मान लिया जाए तो हजारों डिब्बों की आवश्यकता निकल गई है। इसलिए अब यार्ड में बेकार पड़े डिब्बों पर रेल प्रशासन की नजर गई है।