एक ताज़ा जानकारी में बताया गया है कि उत्तराखंड ही नहीं, अन्य राज्यों में भी, जहां-जहां प्रवासी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आंकड़े बता रहे हैं कि अपने गृह राज्य लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे में, वे जहां से निकले थे और जहां पहुंच रहे हैं, ऐसे राज्यों को और सतर्क हो जाने की हिदायतें मिल रही हैं। ऐसे में राज्य का प्रबुद्ध वर्ग उत्तराखंड सरकार और शासन से भी बाहर से लौट रहे प्रवासियों की स्थतियों के मद्देनजर सुरक्षात्मक उपाय और पुख्ता करने की उम्मीद कर रहा है।
उत्तराखंड में लॉकडाउन में ढील दिए जाने के साथ संक्रमण कहीं और फैल न जाए, ऐसी आशंकाएं पहले से थीं। अब कई जगहों से खबरें आ रही हैं जो ये इशारा कर रही हैं कि स्थानीय प्रशासन के विभागों को और ज्यादा सचेत हो जाने की और महामारी के प्रबंधन की एक पुख्ता रणनीति बनाने की जरूरत है। जब से प्रवासियों का उत्तराखंड आने का सिलसिला तेज हुआ है, राज्य में कोरोना केस 100 का आकड़ा छूने की ओर है।
अपने गृह राज्य उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों के बीच पॉजिटिविटी दर चिंताजनक है। ये दर बताती है कि कुल जितने सैंपलों की जांच हुई, उनमें से कितने कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए। राष्ट्रीय स्तर पर ये दर चार प्रतिशत है, यानी जांच किए गए हर 100 सैंपलों में से सिर्फ चार पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिंताजनक दर दिल्ली-महाराष्ट्र-गुजरात से उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को लेकर है।
इस बीच उत्तराखंड में नैनीताल हाई कोर्ट ने देहरादून को ऑरेंज और हरिद्वार जिले को रेड जोन घोषित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 21 मई तक जिलों के रेड, ऑरेंज व ग्रीन जोन के वर्गीकरण संबंधी रिपोर्ट तलब कर ली है, जबकि शासन ने अब हरिद्वार और देहरादून, दोनो को ऑरेंज जोन में घोषित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में हरिद्वार निवासी अक्षित शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि सरकार ने हरिद्वार को रेड और देहरादून को ऑरेंज जॉन घोषित किया है। यह वर्गीकरण केंद्र की नियमावली के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि 20 अप्रैल तक हरिद्वार में दो, जबकि देहरादून में दस कोरोना केस थे, परंतु सरकार ने हरिद्वार को रेड और देहरादून को ऑरेंज जॉन घोषित कर दिया। इस पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि 17 मई को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन-4 की घोषणा कर रेड, ऑरेंज व ग्रीन जोन घोषित करने का अधिकार राज्यों को दिया है। इस गाइडलाइन के मुताबिक राज्य सरकार जोन निर्धारण करेगी। उन्होंने कोर्ट से जोन निर्धारण की रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 21 मई को रिपोर्ट पेश करने को कहा।