उत्तराखंड में जिस तरह एक-एक दिन कर कोरोना खौफनाक रुख ले रहा है, एक बार फिर राजधानी देहरादून के ऑरेंज से रेड जोन में आ जाने का खतरा सिर पर मंडराने लगा है। रोज-ब-रोज लंबे होते जा रहे आकड़े में आज शुक्रवार को एक अंक और जुड़ गया और कुल संख्या 79 तक पहुंच गई है। पिछले दिनो पथरी के इलाज के दौरान दिल्ली से संक्रमित होकर लौटी महिला का बेटा भी आज पॉजिटिव निकला है।
गौरतलब है कि गत दिवस बृहस्पतिवार को छह और कोरोना संक्रमित मरीज मिलने से प्रदेश में इस महामारी से पीड़ितों की संख्या 78 तक पहुंच गई थी। ये सभी पीड़ित बाहर से संक्रमित होकर उत्तराखंड लौटे हैं। प्रदेश सरकार की हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक, इन नए छह पीड़ितों में से तीन तो देहरादून के हैं, जबकि अन्य तीन उधमसिंह नगर के हैं। अपर सचिव स्वास्थ्य, युगल किशोर पंत बताते हैं कि देहरादून के जो तीन नए संक्रमित हैं, उनमें एक पुरुष और एक महिला समेत दो मरीज हाल में दिल्ली से लौटे हैं जबकि तीसरा पुरुष मरीज मुंबई के गोरेगांव से टैक्सी के माध्यम से देहरादून पहुंचा है। उधमसिंह नगर में सामने आए कोरोना संक्रमण से ग्रस्त दो पुरुष मरीज अंधेरी (मुंबई) से लौटे हैं, जबकि नयी दिल्ली से आई दस वर्षीय एक बच्ची भी कोविड 19 से पीड़ित पाई गई है।
प्रदेश के लिए राहत की बात बस एक है कि अब तक कुल संक्रमितों से 50 स्वस्थ हो चुकी हैं, फिर इलाज करा रहे मरीजों की संख्या एक सप्ताह में ही 21 से 30 तक पहुंच चुकी है। यद्यपि स्वास्थ्य विभाग मरीज चिह्नित होते ही उनको भर्ती कराने के साथ, उनके संपर्क में आने वालो को भी झटपट आइसोलेट कर दे रहा है लेकिन सबसे बड़ा ये सवाल राज्य सरकार के गले में अटक गया है, इस तरह संक्रमित होकर आ रहे प्रवासियों को लौटाने के मसले पर वह आगे क्या रणनीति अपनाए। इस बीच एक बात एकदम साफ हो चुकी है कि राज्य में लौटते प्रवासियों की संख्या बढ़ने के साथ ही संक्रमितों का आकड़ा भी भारी होता जा रहा है। आज शुक्रवार को संक्रमित पाया गया युवक कुछ दिन पहले अपनी मां के साथ गुरुग्राम गया था। हालात इतने गंभीर होते जा रहे हैं कि पिछले सात दिनों में ही बाहरी राज्यों से 16 संक्रमित उत्तराखंड लौटे हैं। एक अन्य जोड़-घटाने के मुताबिक, तो कुल संक्रमितों की संख्या 81 तक पहुंच गई है, जिनमें से 51 ठीक हो गए हैं।
आकड़ों का गणित समझाते हुए कल स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया था कि गुरुवार को जिन 366 लोगों के सैंपल की रिपोर्ट मिली, उनमें 360 नेगेटिव और छह केस पॉजिटिव रहे। उन्होंने बताया कि ऊधमसिंहनगर में जो तीन नए मामले सामने आए हैं, उनमें रुद्रपुर खेड़ा निवासी सात लोग किराए पर इनोवा लेकर 12 मई को दिल्ली से चले। कार चालक ने इन्हें रामपुर में छोड़ दिया। यहां से वे लोग पैदल ही स्वार पहुंचे और फिर पिकअप वाहन से रामपुर-रुद्रपुर सीमा पहुंच गए। पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की मदद से इन्हें जवाहर लाल नेहरु अस्पताल में आइसोलेशन सेंटर में भर्ती करा दिया। उन सात लोगों में दस साल की एक बच्ची में कोरोना की पुष्टि हुई है, जबकि अन्य की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। ऊधमसिंहनगर के ग्राम छिनकी और नदन्ना के चार लोग अंधेरी, महाराष्ट्र से अपनी कार से 12 मई को वापस लौटे थे। इन सभी को भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आइसोलेट कर दिया गया था। उनमें से भी दो युवकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
एक ताज़ा मीडिया आकलन के मुताबिक, जिस रफ्तार से राज्य में कोरोना पॉजिटिव की तादाद में इजाफा होता जा रहा है, प्रदेश के पर्वतीय इलाकों के सिर पर भी खतरा मंडराने लगा है। अब तक कोरोना मुक्त रहे उत्तरकाशी में घुसा संक्रमण तो ऐसे ही इशारे कर रहा है। संक्रमण फैलने की एक महत्वपूर्ण वजह सरकारी तंत्र की थकान और उदासीनता अथवा समय के हिसाब से मुस्तैदी न होना भी बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पहाड़ों तक पहुंचने वालों की छानबीन, जांच, परीक्षण की स्थिति चिंताजनक है। कुछ दिन पहले तक श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की लैब में कोरोना की जांच जहां अटकी थी, सैंपलिंग का आकड़ा वही थमा रह गया है। इधर पूरे राज्य में प्रतिदिन की जांचों का औसत भी गिरता जा रहा है, जबकि आजकल के संगीन होते जा रहे हालात में ज्यादा से ज्यादा जांच ही बाकी आबादी की जान बचाने का विकल्प है। राज्य के प्रवासियों के संकट का हाल ये है कि अभी तक दो लाख से अधिक लोग लौटने के लिए पंजीकरण कराकर सरकार की आगामी परिवहन व्यवस्थाओं के इंतजार में हैं। इस बीच लौटे 56 हजार से अधिक लोगों की एक जनपद से दूसरे जनपद में आवागमन हो चुका है। अगर बाहर इंतजार करते सभी प्रवासी लौट पाते हैं तो स्थितियां कैसा मोड़ ले सकती हैं, कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन ये सवाल सोचकर सरकार का भी माथा चकरा उठा है।