अब किसी भी मान्यता प्राप्त भाषा में आयुर्वेद की पढ़ाई संभव हो सकेगी। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (दिल्ली) ने साढ़े पांच वर्षीय आयुर्वेद स्नातक डिग्री बीएएमएस के लिए एमएसई-2020 (मिनिमम स्टैंडर्ड एजुकेशन इन इंडियन मेडिसिन) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसके तहत अब बीएएमएस की डिग्री (पढ़ाई) संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी मान्यता प्राप्त रीजनल भाषा में हो सकेगी। जल्द ही इसका गजट नोटिफिकेशन भी होकर आ जाएगा।
आयुर्वेद से जुड़े लोग गजट नोटिफिकेशन के पहले अपना सुझाव भी सीसीआईएम बोर्ड आफ गवर्नर्स को दे सकते हैं। इसे अगले सत्र (2021) से लागू किया जाएगा। मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई शुरू होने से आयुर्वेद की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को सहूलियत हो जाएगी। यानी अब आयुर्वेद की डिग्री के लिए पढ़ाई में भाषा आड़े नहीं आएगी। इसकी पुष्टि आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने की। डॉ. पांडेय की माने तो छात्र मान्यता प्राप्त किसी भी क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन-अध्यापन कर सकेंगे। नियम पहले भी था पर क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्रों की समस्या बनी रहती थी।
टीवी, मोबाइल के बाद अब रेडियो पर चल रहीं क्लासेस
कोरोना संकटकाल में पढ़ाई को लगातार जारी रखने के मकसद से सभी राज्य कई तरह के तरीके अपना रहे हैं। इसके लिए पहले इंटरनेट के जरिए ऑनलाइन क्लासेस चलाई गई, तो कहीं टीवी के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। इसी क्रम में अब मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर ने रेडियो का सहारा लिया है। दरअसल, इंटरनेट सेवाओं में परेशानी और स्मार्टफोन के अभाव में पढ़ाई को हो रहे नुकसान को देखते हुए दोनों प्रदेश क्षेत्रीय और सामुदायिक रेडियो चैनल के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में मदद कर रहे हैं।
मध्यप्रेदश के शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े आदिम जाति क्षेत्रों में स्कूल शिक्षा विभाग ने रेडियो के जरिए क्लासेस शुरू की है। इसके लिए आदिम जाति कल्याण विभाग के वन्या सामुदायिक रेडियो केन्द्रों पर 8 जून से स्कूल कार्यक्रम का प्रसारण किया जा रहा है। इसकी मदद से भावरा जिला अलिराजपुर (भीली), खालवा जिला खण्डवा (कोरकू), नालछा जिला धार (भीली), मेघनगर जिला झाबुआ (भीली), सेसईपुरा जिला श्योपुर (सहरिया), चिचोली जिला बैतूल (गोंडी), तामिया जिला छिन्दवाड़ा (भारिया), चाड़ा जिला डिण्डोरी (बैगानी) आदि में सोमवार से शनिवार रोजाना सुबह 11 बजे से 12 बजे तक शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किया जा रहा है। कार्यक्रम के प्रसारण से पहले स्थानीय भाषाओं में कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी प्रसारित की जाती है, ताकि पैरेंट्स इस कार्यक्रम के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रख सकें।
वहीं, जम्मू और कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं में परेशानी और स्मार्टफोन के अभाव के चलते राज्य शिक्षा विभाग ने एक बड़ी पहल की है। ऑल इंडिया रेडियो का स्थानीय स्टेशन – AIR भाद्रवाह, जो लगभग पूरे डोडा जिले को कवर करता है, 29 मई से लगातार 101 MHz पर रोजाना डेढ़ घंटे की क्लासेस प्रसारित कर रहा है। दरअसल ,कम आय वाले और निजी ट्यूशन लगवाने में असमर्थ ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी लॉकडाउन के कारण स्कूलों को लंबे समय तक बंद हो जाने के फैसले से बहुत चिंतित थे। ऐसे रेडियो पर क्लास शुरू करने की इस पहल ने डोडा जिले में स्टूडेंट्स को कोरोनो और लॉकडाउन के बीच अपना कोर्स पूरा करने में मदद की है। राज्य में अधिकारियों ने 27 मार्च से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की थीं, जिससे जिले के सभी स्कूलों को जोड़ा गया था।
हालांकि, जब शिक्षा विभाग को पता चला कि जिले में सिर्फ 55 प्रतिशत स्टूडेंट्स के पास ही इंटरनेट और स्मार्टफोन सेवा मौजूद है, तो विभाग ने इसके लिए प्रसार भारती से अनुरोध किया कि वे AIR भद्रवाह पर टाइम स्लॉट प्रदान करें। बाद में इसकी अनुमति मिलने पर 9वीं से 12 वीं के स्टूडेंट्स के लिए 29 मई से दैनिक आभासी रेडियो कक्षाएं शुरू की गईं।