अब देश के सभी आईआईटीज, एनआईटीज और सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में भी केंद्र सरकार केंद्रीय विद्यालय खोलेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटीज से इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य बिंदुओं पर प्रस्ताव तलब किया है। इससे पहले कई आईआईटीज में निजी स्कूलों का संचालन हो रहा था। नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के बाद कोर्ट ने आईआईटीज में चल रहे निजी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए थे। अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय स्कूल संचालित करने के साथ इन स्कूलों में प्राथमिकता के आधार पर संबंधित संस्थान के कर्मचारियों के बच्चों को दाखिला देने के आदेश जारी किए हैं।
इस समय देश में 23 में से सात आईआईटीज, 31 एनआईटी में से मात्र दो व केंद्र व राज्यों को मिलाकर 50 में से मात्र आठ सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में ही केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं।
आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी की याचिका पर पूर्व में दिल्ली हाईकोर्ट ने आईआईटी में चल रहे निजी स्कूल बंद करने के आदेश दिए थे। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की पालना के संबंध में स्वामी ने एमएचआरडी में नोटशीट के लिए आरटीआई दाखिल की। इसके बाद यह तथ्य सामने आया। एक्सपर्ट के अनुसार सरकारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह एक बड़ा कदम है।
देश भर में कई आईआईटीज, एनआईटीज और विश्वविद्यालयों में ये स्कूल संचालित हो रहे हैं। आईआईटी गुवाहटी, दिल्ली, बॉम्बे, जोधपुर, मद्रास, कानपुर, खड़गपुर, एनआईटी सिलिचर, अगरतला, सेंट्रल यूनिवर्सिटी तेजपुर, सिलिचर, जम्मू, सागर, वर्धा, शिलांग, मिजोरम और नागालैंड में केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। आईआईटीज और एनआईटीज में कर्मचारियों के एक संस्थान छोड़कर दूसरे संस्थान में जाने की स्थिति में छात्र एक केंद्रीय विद्यालय से दूसरे केंद्रीय विद्यालय में दाखिला ले सकेगा। इसके साथ ही सीटें खाली रहने पर अन्य छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। इससे पहले कैंपस में संचालित होने वाले निजी स्कूल में सालाना 40 से 50 हजार रुपए बतौर फीस के लिए जा रहे थे। अब इससे कर्मचारियों पर भी भार कम होगा।