विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक बड़े सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण दबाव में आया हेल्थ केयर सिस्टम दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की देखभाल नहीं कर पा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने 155 देशों में सर्वे के बाद यह दावा किया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेदरोस आदानोम ग्रैबिएसिस कहते हैं, “कई लोग, जिन्हें कैंसर, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और डायबिटीज के लिए इलाज की जरूरत है, उन्हें महामारी के शुरू होने के बाद से स्वास्थ्य सेवाएं और दवाएं नहीं मिल पा रही हैं।”
सर्वे दिखाता है कि 31 फीसदी देशों को हार्ट संबंधी बीमारियों का इलाज सीमित या पूरी तरह निलंबित करना पड़ा है। 42 प्रतिशत देशों में कैंसर ट्रीटमेंट प्रभावित हुआ है। 75 से अधिक देशों में डायबिटीज के मरीज स्वास्थ्य सेवाओं की कमी झेल रहे हैं। हाई बीपी से जूझ रहे लोगों पर तो शायद ही कहीं पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है। सर्वे में यह भी पता चला कि 31 फीसदी देशों में हार्ट इमरजेंसी के मामले भी झटके खा रहे हैं।
ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने वाले स्क्रीनिंग प्रोग्राम तो 75 से ज्यादा देशों में निलंबित करने पड़े हैं। सर्वे में शामिल ज्यादातर देशों में हेल्थ केयर वर्कर कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं। लॉकडाउन का भी आम स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा. ग्रैबिएसिस के मुताबिक, “कोविड-19 से लड़ने का साथ ही यह भी अहम है कि देश असंक्रामक बीमारियों के लिए जरूरी इलाज के लिए नए तरीके खोजें।” सर्वे के मुताबिक निम्न आय वर्ग वाले देशों में ऐसी समस्याएं ज्यादा सामने आ रही हैं। कैंसर, दिल, डायबिटीज जैसी बीमारियों से हर साल दुनिया भर में 4.1 करोड़ लोग मारे जाते हैं।