दुनिया की आधी आबादी के तालाबंदी में होने की वजह से प्रकृति पर ऐसा असर पड़ रहा है जिसकी शायद सिर्फ कल्पना की गई हो। दुनिया के अलग अलग हिस्सों से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के कम होने की खबरें आ रही हैं। जानवर खुले में सैर करते हुए नजर आ रहे हैं। कहीं आसमान साफ दिख रहा है तो कहीं दूर से ही उत्तराखंड के पर्वतों की चोटियां नजर आ रही हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऋषिकेश-हरिद्वार से कोलकाता तक गंगा की निर्मलता की झलक मिल रही है।
भारत में कई राज्यों से उन नदियों के अचानक साफ हो जाने की खबरें आ रही हैं जिनके प्रदूषण को दूर करने के असफल प्रयास दशकों से चल रहे हैं। दिल्ली की जीवनदायिनी यमुना नदी के बारे में भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें आईं जिन्हें डालने वालों ने दावा किया कि दिल्ली में जिस यमुना का पानी काला और झाग भरा हुआ करता था, उसी यमुना में आज कल साफ पानी बह रहा है। इन दिनों उत्तराखंड में गंगा नदी का प्रदूषण कम हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है। गंगा का पानी ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया। मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है। इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है। जलीय जंतुओं के साथ ही पशु पक्षियों की चहल पहल भी बढ़ गई है। गंदगी से पटे रहने वाले गंगा तट अब साफ सुथरे नजर आने लगे हैं। आसपास का वातावरण भी शुद्ध हो गया है। इस समय गंगा के स्वच्छ जल में उछल-कूद करतीं मछलियों को सहजता से देखा जा रहा है।