सीएम उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने निर्णय लिया है कि बाहर से राज्य में लौट रहे प्रवासी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत अपने गांवों में अपनी योग्यतानुसार मेन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के साथ ही छोटा व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। इसके लिए सरकार 15 से 25 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी।
सरकार का इरादा नौकरी, रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर गए लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजी-रोटी के संसाधन उपलब्ध कराना है। सरकार की यह योजना में उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों को पवर्तीय अथवा राज्य के अन्य क्षेत्रों पलायन रोकने पर केंद्रित है। इस योजना में प्रवासी दुकान खोलने से लेकर मुर्गीपालन, पशुपालन, डेयरी और 25 लाख तक के मैन्युफैक्चरिंग और 10 लाख तक सर्विस सेक्टर के उद्योग लगा सकते हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई बैठक में तय किया गया कि इस योजना के लिए आवेदन मंजूर होते ही बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने के साथ ही सब्सिडी तुरंत मिल जाएगी। लॉकडाउन से गांव लौटा कोई प्रवासी कृषि, पशुपालन डेयरी, फूड प्रोसेसिंग या किसी तरह की दुकान खोलकर रोजगार करना चाहता है तो सरकार उसे 15 से 25 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। पहाड़ों के लिए 25 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्र में कारोबार करने पर 15 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल सकती है।
कोरोना संक्रमण रोकने की जंग में लॉकडाउन के चलते खराब माली हालत से राज्य को उबारने के लिए मंत्रिमंडल ने प्रवासियों को एमएसएमई के रूप में निर्माण क्षेत्र में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक ऋण 20 से 25 फीसद अनुदान का फैसला लिया है। सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लिए फिलहाल 15 करोड़ के बजट की व्यवस्था की है, जिससे प्रवासियों को तत्काल योजना का लाभ मिल सके। योजना में सभी तरह के कारोबार और उद्योग लगाने की अनुमति है। सरकार 25 लाख से बड़े प्रोजेक्टों को एमएसएमई नीति में अनुदान देगी। एमएसएमई नीति के तहत लगने वाले उद्योगों के लिए 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने की व्यवस्था है। इसके अलावा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से छोटे कारोबार के लिए अनुदान दिया जा रहा है।