कृत्रिम पैरों वाली मानसी जोशी हैदराबाद में रहती हैं। वह पूरे हफ्ते की कड़ी ट्रेनिंग के बाद शनिवार दोपहर को थोड़ा आराम कर पाती हैं। मानसी कहती हैं कि मैं एक दिन में 7 से 8 घंटे ट्रेनिंग करती हूं। हर रोज़ दोपहर को मैं आराम करती हूं और अपने शरीर को ज़रूरी रेस्ट देती हूं, ताकि मैं शाम को फिर से ट्रेनिंग कर सकूं। शनिवार को मैं सिर्फ सुबह ट्रेनिंग करती हूं। शनिवार और रविवार मैं किताब पढ़ते हुए या बागवानी करते हुए बिताती हूं।
मानसी गीले फर्श को साफ करते हुए कहती हैं कि ये मेरे लिए खतरनाक है। एक पैर से बैडमिंटन की ऊंचाई पर पहुंचने वाली मानसी जोशी छह साल की उम्र से बैडमिंटन खेल रही हैं। 30 साल की मानसी गिरीशचंद्र जोशी एक भारतीय पैरा-बैडमिंटन एथलीट है। उनके पास पैरा-बैडमिंटन चैम्पियनशिप का गोल्ड टाइटल है। उन्होंने अगस्त 2019 में विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। वो 2015 से पैरा-बैडमिंटन खेल रही हैं। 2011 में एक दुर्घटना के बाद मानसी ने अपना एक पैर खो दिया था। वो कहती हैं कि बैडमिंटन खेलने और कोर्ट में जाने से मुझे ठीक होने में मदद मिली। कहती हैं कि अपने छात्र जीवन में डांस, बैडमिंटन समेत कई सारी गतिविधियों में हिस्सा लेती थीं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और सोफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम भी किया है। दुर्घटना के बाद मानसी ने अपने ऑफिस की ओर से कराई गई एक प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया था। वह बताती हैं कि तब मुझे एहसास हुआ कि मैं एक पैर से खेल सकती हूं।
वो कहती हैं कि छोटी-छोटी चीज़ों से उन्हें बहुत खुशी मिलती है। वो एक घटना याद करती हैं, जब वो अपनी बहन के साथ हैदराबाद के गोलकोंडा किला गई थीं। वह बताती हैं कि मैं पहले भी वहां जा चुकी थी लेकिन एक दिन, मैं किले के टॉप पर जाना चाहती थी। किले के ऊपरी हिस्से तक पहुंचने के लिए तीन सौ से ज़्यादा सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मैंने और मेरी बहन ने चढ़ना शुरू किया। मैं बहुत धीरे-धीरे चल रही थी लेकिन परिवार का यही साथ और प्यार सबसे खास होता है। आखिरकार हम ऊपर पहुंच गए। मैं बहुत खुश थी। जब मैं वो कर लेती हूं, जो पहले नहीं कर पा रही थी, तो इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है और उम्मीद जगती है कि मैं और भी बहुत कुछ कर सकती हूं।
उन्होंने 2015 में पहली बार पैरा-बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था। इंग्लैंड में हुई इस चैम्पियनशिप की मिक्सड डबल केटेगरी में उन्होंने रजत पदक जीता था। यहीं से उनका सफर शुरू हुआ है, जिसके बाद इन्होंने कई चैम्पियनशिपर में मेडल जीते। मानसी ने 2016 में हुई एशियन पैरा-बैडमिंटन चैम्पियनशिप में महिलाओं की एकल श्रेणी में कांस्य पदक जीता था। 2017 में उन्होंने पैरा-बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2018 में भी उन्होंने थाईलैंड पैरा-बैडमिंटन इंटरनेशनल में कांस्य पदक अपने नाम किया. 2018 में ही हुए एशियन पैरा खेलों में उन्हें कांस्य पदक मिला। स्विट्ज़रलैंड में 2019 में हुई पैरा-बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। मानसी जोशी अब इस साल अगस्त में होने वाले टोक्यो पैरालंपिक के लिए तैयारी कर रही हैं।