उत्तराखंड में ही कोरोना रिकवरी रेट रफ्तार नहीं पकड़ रहा, बल्कि पूरे देश से अब राहत की खबरें मिलने लगी हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के ताजा सीरोलॉजिकल सर्वे में पता चला है कि भारत के हजारों लोग कोरोना वायरस इन्फेक्शन के बाद अपने-आप ठीक हो गए। एक और ताज़ा खुशखबरी है कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या भले 2 लाख 65 हजार 928 हो गई हो, इस बीच यह बात अच्छी है कि जितने एक्टिव केस हैं, उतने ही मरीज ठीक हो गए हैं।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, देश के हाटस्पॉट शहरों की एक-तिहाई आबादी में जब संक्रमण फैला था, वे मरीज खुद-ब-खुद रिकवर हो गए। उनके शरीर से ऐंटीबॉडीज मिली हैं। सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय से साझा की गई है।
के सीरोलॉजिकल सर्वे में देश के 70 जिलों से करीब 34 हजार लोगों के सैंपल लिए गए थे। बताया गया है कि इम्यून सिस्टम मजबूत होने के कारण ये सभी लोग संक्रमित होने के बाद बिना किसी दवा-इलाज के अपने आप ठीक हो गए। सीरो सर्वे में, खास ऐंटीबॉडीज की पहचान के लिए ब्लड सैंपल लिए जाते हैं। इस बार टेस्ट आईजीजी ऐंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए था, जो SARS-CoV-2 से लड़ती हैं। यह इंफेक्शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती हैं और महीनों तक ब्लड सीरम में रहती हैं। आईसीएमआर ने सर्वे में पाया कि हाई केसलोड वाले जिलों के कई कंटेनमेंट जोन में 15 से 30 फीसदी आबादी को इन्फेक्शन हो चुका है।
आईसीएमआर को अभी 8 जिलों का डेटा और कम्पाइल करना है। बाकी जिलों का डेटा दिखाता है कि कई कंटेनमेंट एरियाज में इंन्फेक्शन साइज वहां मिले केसेज के 100 गुने से 200 गुना ज्यादा है। इनमें मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और इंदौर जैसे शहर हैं। यानी जो केसेज रिपोर्ट हो रहे हैं, असल में कोरोना उससे कहीं ज्यादा आबादी में फैला है। आईसीएमआर रिपोर्ट कहती है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में वायरस का प्रसार कम रहा है।
ब्लड सैंपल का ऐंटीबॉडी टेस्ट बड़ी अहम जाानकारी देता है। इससे शरीर में ऐंटीबॉडीज का पता चलता है, जो बताती हैं कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं। ऐंटीबॉडीज दरअसल वो प्रोटीन्स हैं जो इन्फेक्शंस से लड़ने में मदद करती हैं। सीरो सर्वे के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (एनआईवी) की बनाई कोविड कवच एलिसा किट्स इस्तेमाल की गई हैं।
देश में आज मंगलवार सुबह तक 1 लाख 29 हजार 345 मरीज बीमार हैं तो 1 लाख 29 हजार 095 स्वस्थ हो गए हैं। यह आकड़ा राहत देने वाला है। मुंबई में संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच गया, शहर में 1702 लोगों की जान गई। जबकि राज्य में 88 हजार 528 मरीज मिल चुके हैं, इनमें से 40 हजार से ज्यादा ठीक हो गए। मुंबई में रोजाना जितने लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं, उनकी तुलना में स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर बढ़ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज सुबह अपने आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि पिछले 24 घंटे में 9987 मामले सामने आए और 331 मौतें हुईं। इसके साथ, देश में 2 लाख 66 हजार 598 केस हो गए हैं। इनमें 1 लाख 29 हजार 917 एक्टिव केस हैं और 1 लाख 29 हजार 215 लोगों की अस्तपाल से छुट्टी हो गई है। अब तक देश में 7466 मौतें हो चुकी हैं।
एक वक्त पर चिंता का सबब बन रहे उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में स्थिति अब नियंत्रण में आती दिख रही है। लॉकडाउन-3 में मिली छूट के बाद सैकड़ों की संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटे, जिसके बाद कोरोना मुक्त रहा प्रदेश का पहाड़ी क्षेत्र भी एक-एक कर इस बीमारी की जद में आता चला गया, जिस तेजी से यहां कोरोना का ग्राफ बढ़ा, उसने कई स्तर पर चुनौतियां खड़ी कर दी थीं। पर अब उसी रफ्तार से लोग रिकवर भी होने लगे हैं।
नौ पर्वतीय जिलों में से इस समय अल्मोड़ा सबसे बेहतर स्थिति में है। उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, चंपावत और बागेश्वर में भी पचास फीसद से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि पिथौरागढ़, चमोली और पौड़ी गढ़वाल में भी स्थिति में सुधार दिख है। रुद्रप्रयाग का रिकवरी रेट जरूर कम है। इधर, प्रदेश की राजधानी दून में रिकवरी रेट अभी भी बहुत कम है। यहां पर मरीजों के ठीक होने की रफ्तार 30 फीसद है। प्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमित जिन चौदह मरीजों की मौत हुई है, उनमें नौ मरीज देहरादून जनपद की सूची में शामिल हैं। रिकवरी रेट में नैनीताल और ऊधमसिंहनगर दून से कई बेहतर स्थिति में हैं। जबकि हरिद्वार भी दून के आसपास ही खड़ा दिख रहा है।
दुखद सूचना ये है कि कोरोना अलर्ट के बीच उत्तराखंड के अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालक गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। शासन द्वारा साफ किया गया है कि कोई भी मेडिकल स्टोर संचालक सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार की दवा बिना चिकित्सक के पर्चे के नहीं बेचेगा। अगर बेचेगा तो उसे मरीज का डाटा और दवा का ब्योरा प्रशासन को उपलब्ध कराना होगा। मरीज का नाम, मोबाइल नंबर, ई-मेल का विवरण अलग एक रजिस्टर में अंकित किया जाएगा। पर अभी भी बड़ी संख्या में मेडिकल स्टोर इसका पालन नहीं कर रहे हैं।
आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने सभी जिलों को इसका सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में मेडिकल स्टोरों का नियमित रूप से निरीक्षण करते रहें। यदि कोई कैमिस्ट सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार की दवा बिना चिकित्सक के पर्चे के बेचता पाया जाता है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करें। मेडिकल स्टोर संचालकों से इस बावत सूचना प्राप्त कर हर दिन उन्हें भेजनी होगी।
प्रदेशभर के सभी निजी अस्पतालों की जानकारी भी शासन-प्रशासन को नहीं मिल पा रही है। उनका रिकॉर्ड रखना भी मुश्किल हो रहा है। अस्पताल रोजाना कितने मरीज देख रहे हैं, क्या दवाएं दे रहे हैं इसकी मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। इसके अलावा गली-मोहल्ले के मेडिकल स्टोरों की निगरानी भी नहीं हो पा रही है और उनकी ओर से डिटेल भी अपडेट नहीं की जा रही है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन राहत की बात यह है कि एक समय तेजी से पहाड़ चढ़ रहे कोरोना के मामले फिलहाल प्रदेश के चार जिलों में ही सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं। ये जिले हैं देहरादून, नैनीताल, टिहरी और हरिद्वार। कोरोना के 70.29 फीसद मरीज इन्हीं चार जिलों में हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा 26.59 फीसद मरीज देहरादून में हैं। इसके बाद मरीजों के मामले में नैनीताल की हिस्सेदारी 22.98 तो टिहरी की 10.53 व हरिद्वार की 10.18 फीसद है।