अभी तक गाय के गोबर से बना पांच तरह का साबुन चार वेरायटी गौनम, गौअमृत, नौनीम एवं पंचगव्य नाम से बिक रहा था, अब एक और हैरत भरी ताज़ा शुरुआत हुई है। जामनगर (गुजरात) के शरदभाई सेठ राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में मशीन से रोजाना एक हजार टन गाय के गोबर से लकड़ी बना रहे हैं। मशीन छोटी है, लेकिन हर दिन एक हजार टन गोबर को गौ-काष्ठ बना देती है। गो-काष्ठ का जो टुकड़ा बनता है, उसमें छेद होते हैं। इससे यह सूखने में ज्यादा वक्त नहीं लेती है। सबसे पहले सेठ ने मशीन से गोबर बनाने की जानकारी जामनगर के आणदाबाबा सेवा संस्थान के महंत देवप्रसादजी को दी। उसके बाद उन्होंने मशीन मंगवा कर संस्थान में ही गोबर से लकड़ी का प्रॉडक्शन करने लगे। सेठ का कहना है कि यह इको-फ्रेंडली दाह-संस्कार के लिए लकड़ी के इंतजाम की अभी शुरुआत है। जब पूरे देश में गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल होने लगेगा, तो इससे हमे जलवायु आपदा से निपटने, पर्यावरण संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।
फिलहाल, जामनगर के आश्रम आणदाबाबा सेवा संस्थान अब खुद मशीन की मदद से गाय के गोबर से लकड़ी बनाने लगा है। सबसे बड़ी बात ये है कि यह गौशाला संचालकों के लिए कमाई का एक नया जरिया बनने जा रही है। शरद भाई सेठ का कहना है कि सामान्यत: पेड़ की लकड़ी में नमी का प्रमाण पंद्रह प्रतिशत तक होता है लेकिन गौकाष्ठ में यह सिर्फ तीन प्रतिशत तक होता है। इसका लाभ ये है कि अंतिम क्रिया में इस लकड़ी के इस्तेमाल से घी आदि खपत बहुत कम हो जाएगी। इस लकड़ी में कैलोरिफिक वैल्यू आठ हजार केजे होती है। औद्योगिक जरूरतों के हिसाब से लकड़ी और कोयले के चूरे को मिलाकर गौकाष्ठ की कैलोरिफिक वैल्यू और ज्यादा की जा सकती है।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल अक्तूबर में गांधी जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के प्रॉडक्ट गाय के गोबर से बने साबुन और बांस की बनी पानी की बोतलों को लांच किया था। यह भी गौरतलब है कि यह गोबर से भले बना हो लेकिन बांस की बनी पानी बोतल की कीमत 560 रुपये और 125 ग्राम का साबुन का दाम 125 रुपये है। इसके खरीदार कितने होंगे, यह सोचने वाली है।