लॉकडाउन की नई गाइड लाइन के मुताबिक, उत्तराखंड में 18 मई से बसें और यात्री वाहन एक राज्य से दूसरे राज्य में जा सकते हैं लेकिन इसके लिए दोनों राज्यों की सहमति लेनी होगी। राज्य सरकारें अपने राज्य के भीतर बसों और यात्री वाहनों के संचालन की अनुमति दे सकती हैं। लोगों की आवाजाही के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रसीजर्स (एसओपी) का पालन करना होगा। यानी सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरी शर्तें जारी रहेंगी। कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए जारी दिशानिर्देशों का पूरे देश में पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। इससे उत्तराखंड रोडवेज की करीब 1600 बसों का संचालन शुरू हो सकेगा।
गौरतलब है कि सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार राज्य के अंदर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के आवागमन का फैसला राज्य सरकार को स्वयं लेना होगा। केंद्र सरकार ने यहां साफ कर दिया है कि राज्य अपने से तय करें कि क्या प्रदेश के भीतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलने चाहिए या नहीं। उत्तराखंड से दिल्ली, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, जम्मू, राजस्थान राज्यों के लिए बसों की आवाजाही है। बसों का संचालन न होने से रोडवेज को भी हर महीने 20 से 22 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है। दूसरे राज्यों में बसों के संचालन को लेकर सरकार को बेशक निर्णय लेने में कुछ समय लगे, लेकिन राज्य के भीतर बसों और यात्री वाहनों के संचालन को लेकर सरकार सोमवार तक फैसला ले सकती है। लॉकडाउन में सार्वजनिक यात्री वाहनों के संचालन की सरकार कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे सकती है। यात्री वाहनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य है। कम यात्री होने की वजह से यात्री वाहनों को नुकसान हो सकता है। इसलिए यात्रियों की संख्या को सीमित करने के साथ ही किराए की दरों में अस्थाई वृद्धि भी संभव है।
उत्तराखंड में लॉकडाउन-3 की तरह स्कूल, कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई चलती रहेगी। स्कूल, कॉलेज यथावत बंद रहेंगे। नई गाइडलाइन में स्पष्ट कर दिया गया है कि धार्मिक कार्यों के लिए लोगों को एक स्थान पर जमा नहीं होने दिया जाएगा। इससे उत्तराखंड में पूर्णागिरी मेला समेत ऐसी गतिविधियों, जमावड़ों पर भी बंदिशें कम से कम 31 मई तक तो जारी रहनी ही हैं। सभी तरह के सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम और जलसों की अनुमति नहीं होगी। सभी धार्मिक स्थल, पूजा स्थल जनता के लिए बंद रहेंगे। धार्मिक जलसों पर सख्त पाबंदी होगी। लॉकडाउन-4 में चार धाम सहित पर्यटन गतिविधियों को शुरू करने की प्रदेश सरकार की उम्मीदों को झटका लगा है। रावत सरकार को उम्मीद थी कि देव स्थानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्थानीय स्तर पर आवाजाही में कुछ हद तक छूट मिलेगी। अब सरकार के पास अर्थव्यवस्था के पटरी पर लाने के लिए एमएसएमई सेक्टर को उन्नत करने का ही रास्ता बचा है।
नई गाइडलाइन के मुताबिक, शाम को सात बजे से सुबह के सात बजे तक आवाजाही पर रोक रहेगी। लोकल प्रशासन इसके लिए जरूरी आदेश दे और अपने अधिकार क्षेत्रों पर धारा 144 को लागू करे और सख्ती से पालन कराए। अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी सभी तरह के जोन की सीमाओं के बारे में सीमांकन करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और जिले के अधिकारियों की होगी। कोरोना संक्रमित मामलों के आधार पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से जनपदों की रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन की श्रेणी तय की जाती थी। जोन तय करने के लिए अलग-अलग मानक निर्धारित है। इसमें संक्रमण की दर, मरीजों के ठीक होने की दर, सर्विलांस, सैंपल जांच शामिल हैं। कंटेनमेंट जोन में केवल जरूरी कामों के लिए आप घर से बाहर आ सकते हैं। इन जोनों में किसी तरह की आवाजाही नहीं होगी। न तो इन इलाकों के भीतर कोई आ सकता है और न ही कोई इससे बाहर जाएगा। हालांकि मेडिकल इमरजेंसी और जरूरी सामान लाने के लिए आप निकल सकते हैं लेकिन इसके लिए भी स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार ही छूट मिलेगी। अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत ने बताया कि लॉकडाउन 4.0 को लेकर केंद्र की ओर से जारी गाइडलाइन में जोन तय करने का अधिकार प्रदेश सरकार को दिया गया है। लेकिन इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों का पालन करने की बात भी कही गई है। प्रदेश में किस तरह जोन तय किए जाएंगे। इसका फैसला सरकार लेगी।