श्रीगंगानगर (राजस्थान) की सिंधी कॉलोनी निवासी 11 वर्षीय जेनिशा सारस्वत ने लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसी कहानियों, किस्सों और ज्ञान वर्धक जानकारियों का संकलन तैयार किया है, जिन्हें पढ़कर हर कोई आसानी से कोरोना से जुड़ी जानकारी एक ही बार में हासिल कर सकता है। कुल 65 कहानियों के इस संकलन में कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं से लेकर क्वारेंटाइन सेंटरों में रोगियों के ठीक होने की कहानियां शामिल हैं।
इस दौर में कोरोना के असर से प्रकृति में आए बदलाव और कोरोना से बचने के तरीकों को भी शामिल कर इसे पुस्तक का रूप दिया गया है। खास बात ये है कि बच्ची ने कोरोना से जुड़ी ये कहानियां और जानकारियां दैनिक भास्कर की कतरनों को एकत्रित कर वहां से ली हैं।
लॉक डाउन के 2 महीनों में जब लोग घरों में थे, उन्हीं दिनों में इस बच्ची ने एक-एक कतरन को काटकर यह संकलन तैयार किया। बच्ची जेनिशा का कहना है, हमारे भविष्य और आने वाली पीढी के लिए भी यह सहायक साबित हो सकता है।
यदि ये संकलन क्वारेंटाइन सेंटर में रोगियों तक पहुंचाया जाए तो वह कोरोना के अच्छे-बुरे प्रभाव को करीब से समझ सकते हैं और इसकी पॉजिटिव स्टोरी पढ़कर ठीक भी हो सकते हैं।
वहीं हनुमानगढ़ के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. ओपी सोलंकी का भी कहना है कि इस तरह के सकारात्मक प्रयास मानसिकता में बदलाव तो लाएंगे, कोरोना रोगी के लिए भी यह टॉनिक के तौर पर काम कर सकता है।
समाजशास्त्री डॉ. अर्चना गोदारा का कहना है कि आज हम जिस माहौल में हैं, वहां चारों तरफ तनाव का वातावरण और भविष्य की चिंता पसरी हुई है। यदि हमें कहीं से भी कोई सकारात्मक परिणाम या ऊर्जा देखने को मिलती है तो हमें एक अंदरूनी शक्ति प्राप्त होती है, जो हमें जीवन में संघर्ष करने की हिम्मत देती हैं और कुछ नया करने को प्रेरित करती है।
इसके साथ ही ऐसे कार्यों से वातावरण में भी हल्कापन आता है, जो दूसरों की मदद के लिए उत्साहित करता है। जब एक छोटी बच्ची इतनी सकारात्मक सोच रखते हुए कुछ अच्छा देख रही है तो हमारा और समाज का दायित्व तो और भी महत्वपूर्ण हो जाता है समाज में कुछ बेहतर करने का… एक अच्छा प्रयास एक रोशनी की तरह होता है।