गुजरात के हरणी इलाके से वडोदरा एटीएस ने आईएसआईएस आतंकी जाफर अली समेत उसके जिन दो साथियों को गत दिवस दबोचा था, पुलिस के मुताबिक, वे एक महीने के भीतर गुजरात में हिंदुओं पर हमले की योजना बना रहे थे। पुलिस ने यह भी दावा किया है कि दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा पकड़ा गया आतंकी ख्वाजा मोइनुद्दीन गुजरात के मॉड्यूल को ऑपरेट कर रहा था। पुलिस ने बताया कि चार दिन पहले तमिलनाड़ु-केरल की सीमा पर एएसआई विल्सन की हत्या जाफर अली के दो साथियों ने ही की थी।
गौरतलब है कि वडोदरा की हरणी पुलिस ने एक घर में घुसकर जाफर और उसके साथ रहने वाले मुबारक और उसके दोस्त को पकड़ा था। तीनों को हरणी की क्राइम ब्रांच ऑफिस ले गई। यहां पुलिस ने 3 घंटे तक पूछताछ की। तब जाफर ने बताया कि उसके साथी हथियारों का जखीरा उतारने वाले थे। वह एक महीने तक वडोदरा में ठहरा था। इसके पहले वह कभी गुजरात नहीं आया था। भरुच जंबुसर के चार युवकों को उसने आतंकवाद की ट्रेनिंग दी थी। इन चारों युवकों ने उससे 5 बार मुलाकात की थी। जाफर फियादिन मानसिकता से ग्रस्त है। वह हर हालत में गुजरात में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में था।
पकड़े जाने के बाद पूछताछ के दौरान जाफर ने पुलिस को छकाने के लिए पहले तो तमिल में ही बात की। जब पुलिस ने दुभाषिए की मदद ली, तो वह हिंदी में बात करने लगा। इसके बाद सभी को अहमदाबाद ले जाया गया। शुक्रवार को आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले जाया गया। वडोदरा पुलिस को यह आशंका थी कि जाफर के साथ उसके दो साथी भी शहर में ही छिपे हुए हैं। पूछताछ में पता चला कि उसके दो साथी गुजरात में नहीं हैं। पता चला कि तमिलनाड़ु-केरल बॉर्डर पर बुधवार की रात एएसआई विल्सन की हत्या जाफर के दो साथियों ने ही की है।
पकड़े गए आतंकियों ने तमिलनाड़ु के हिंदू मुन्ना की संस्था के नेता सुरेश कुमार की हत्या की थी। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि यह आतंकी आरएसएस, भाजपा और अन्य नेताओं की हत्या की योजना बना रहे थे। दिल्ली से पकड़े गए आतंकी बहरहाल उत्तर प्रदेश और नेशनल केपिटल रीजन में किसी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, मुबारक का रोज कहीं न कहीं आना-जाना रहता था। लेकिन, जाफर कभी दिखाई नहीं देता था। वह घर पर ही रहता था। वह मुबारक के साथ सिलाई का काम करता था। मुबारक ही घर से बाहर जाकर भोजन की व्यवस्था करता था। बाथरूम घर के बाहर थे, फिर भी लोगों ने कभी जाफर को वहां जाते हुए नहीं देखा। पुलिस ने जब जाफर को पकड़ा, तब उसके पास मोबाइल फोन नहीं था। पूछताछ में पता चला कि वह अपने साथियों के मोबाइल से बात करता था। साइबर कैफे में जाकर भी फोन पर बात करता था।
पुलिस का कहना है कि जंबुसर में रहने वाले मुबारक ने वडोदरा में जाफर के रहने की व्यवस्था कराई थी। अलग-अलग स्थानों पर होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में मुबारक और जाफर अक्सर मिलते थे। वहीं दोनों की पहचान हुई। यही पहचान दोस्ती में बदली। दिल्ली में पकड़े गए मोइनुद्दीन की सूचना पर ही इधर जाफर हमले की योजना का अमल में लाने का काम करता था। जाफर 12 दिनों से गोरवा में मधुनगर में छिपा था। पर स्थानीय पुलिस या खुफिया तंत्र को उसकी भनक तक नहीं मिली। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वडोदरा पुलिस का ह्यूमन इंटेलिजेंस कमजोर साबित हुआ। एटीएस की जांच में यह सामने आया कि जाफर वडोदरा में एक महीने तक रहा लेकिन गुजरात की पुलिस को उसका कोई सुराग नहीं मिल सका।