मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज से उत्तराखंड के करीब दो लाख एमएसएमई को भी नई राह मिलती दिख रही है। इस बीच कोरोना जंग ने जिला योजना की प्राथमिकता बदलने को विवश कर दिया है। उधर, लॉकडाउन में राज्य की आर्थिकी को नुकसान से उबारने और आजीविका के उपाय सुझाने के लिए पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे समिति की अंतरिम रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल के पास पहुंच चुकी है।
कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में आर्थिकी को नुकसान से उबारने और आजीविका के उपाय सुझाने को पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे समिति की अंतरिम रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई। अप्रैल माह के राजस्व के आंकड़ों के आधार पर समिति ने करीब सात हजार करोड़ के नुकसान का प्रारंभिक आकलन किया है। सरकार ने तय किया है कि समिति की रिपोर्ट और सिफारिशों का सेक्टरवार परीक्षण कर अमलीजामा पहनाया जाएगा।
समिति ने बीती चार मई को अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपी थी। यह रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत की गई। समिति की ओर से विभागवार सेक्टरवार नुकसान का आकलन करने के साथ ही उसमें सुधार लाने के उपाय सुझाए हैं। विभागवार व सेक्टरवार रिपोर्ट का परीक्षण कराया जाएगा।
समिति ने कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को लगे झटके से उबरने के लिए अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक उपायों पर जोर दिया है। साथ में इसी हिसाब से आगे योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की सिफारिश की है। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने को स्पेशल डेवलपमेंट प्लान तैयार किया जाएगा। आय के नए स्रोतों पर विचार करने और खर्चों में कटौती का सुझाव दिया गया है।
समिति की अंतरिम रिपोर्ट में प्रदेश की माइक्रो इकॉनोमी को पुनर्जीवित करने और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाने की पैरवी की गई। प्रदेश में पर्यटन, इससे संबंधित उद्योगों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए इन्हें मजबूती देने को कहा गया है। औद्योगिक उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों, श्रमिकों की समस्याओं व संसाधनों की कमी, रिवर्स पलायन के मद्देनजर उद्योगों और विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण करने पर जोर दिया गया है। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि समिति ने लॉकडाउन से प्रारंभिक नुकसान 7000 करोड़ आंका है।
समिति के अध्यक्ष इंदुकुमार पांडे ने कहा कि नुकसान का आकलन प्रारंभिक है, इसे अभी ट्रेंड नहीं माना जा सकता। दो-तीन माह के आंकड़ों के आधार पर ही लॉकडाउन से हुए नुकसान के ट्रेंड का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि नुकसान का आकार और बड़ा होना तय है। कोविड ने कई सेक्टर पर असर डाला है। उधर, सचिव नियोजन एवं वित्त अमित नेगी ने कहा कि समिति की रिपोर्ट को संबंधित महकमों को भेजा जाएगा। इसके आधार पर उनसे आगे की रणनीति का खाका तैयार करने को कहा जाएगा।
अब बारी राज्य सेक्टर के करीब 40 हजार करोड़ के बजट की है। सरकार ने सभी महकमों से प्राथमिकताओं में बदलाव को लेकर प्रस्ताव मांगा है। कोरोना महामारी ने चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के 53526 करोड़ के बजट की प्राथमिकताओं को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। हालांकि कोरोना से उपजे संकट की वजह से पहली बार राज्य सरकार ने पूरे बजट के बजाए सिर्फ 50 फीसद बजट ही महकमों के नियंत्रण में दिया है।
एकमात्र स्वास्थ्य महकमे के लिए पूरा सालाना बजट मंजूर किया गया। इसकी वजह महकमे पर कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं को जुटाने की चुनौती है। जिला योजना का कुल सालाना बजट तकरीबन 670 करोड़ है। लॉकडाउन की वजह से राज्य की राजस्व आमदनी घटकर नाममात्र रह गई है।
ऐसे में विकास और निर्माण कार्यो की जगह सिर्फ प्रतिबद्ध मदों में वेतन व मानदेय भुगतान को प्राथमिकता दी जा रही है। जिला योजना की दो किस्त सरकार जारी कर चुकी है, लेकिन बदली स्थितियों में यह धनराशि पीआरडी के वेतन व अन्य वेतन भुगतान पर खर्च की जाएगी। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी जरूरत पड़ने पर इस राशि का उपयोग कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों में कर सकेंगे।
इसी तरह बजट के सबसे बड़े राज्य सेक्टर की प्राथमिकताओं को बदला जा रहा है। इसमें भी प्रतिबद्ध मदों यानी वेतन आदि जरूरी खर्चो को ही प्राथमिकता दी जानी है। हालांकि सरकार ने जरूरी निर्माण और विकास कार्यो को मंजूरी देनी शुरू कर दी है। लिहाजा महकमों को इस सेक्टर में अपनी प्राथमिकताएं तय करने को कहा गया है।
केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं के तकरीबन 10 हजार करोड़ बजट में बड़ा दारोमदार केंद्रपोषित योजनाओं पर है। केंद्र से मिलने वाली मदद के मुताबिक राज्य सरकार केंद्रीय योजनाओं को गति दे सकेगा। वित्त सचिव अमित नेगी ने राज्य सेक्टर की प्राथमिकताओं के बारे में महकमों से प्रस्ताव मांगे जाने की पुष्टि की।