रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज रविवार को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ लद्दाख के हालात पर उच्च स्तरीय विचार-विमर्श के बाद सशस्त्र बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की सेना के किसी भी प्रकार के आक्रामक रवैए से निपटने के लिए पूरी स्वतंत्रता दे दी है। रक्षा मंत्री ने समीक्षा बैठक के बाद कहा कि भारतीय बलों को पूर्वी लद्दाख और अन्य सेक्टरों में चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया है। चीन के साथ लगती सीमा की रक्षा के लिए भारत अब से अगल सामरिक तरीके अपनाएगा। शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
इस बीच, भारत सरकार ने तीनों सेनाओं के वाइस चीफ को 500 करोड़ रुपए तक के हथियार खरीदने की इजाजत दे दी है। इसके तहत वे फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से जरूरी हथियार खरीद सकते हैं। इस समय लगातार पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ाता जा रहा है। उरी हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले भी सेना को इसी तरह के वित्तीय अधिकार दिए गए थे।
इस बीच एक और दुखद सूचना नेपाल की ओर से आ रही है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक, वहां की प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के नेत्र बिक्रम चंद ने काठमांडू में नेतृत्व से यह अपील की है कि गोरखा नागरिकों को भारतीय सेना का हिस्सा बनने से रोका जाए। पार्टी की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘गलवान घाटी में भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद भारत और चीन में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने गोरखा रेजिमेंट के नेपाली नागरिकों से अपील की है कि वे अपनी छुट्टियां रद्द करके ड्यूटी पर वापस आएं। इसका मतलब है कि भारत हमारे नेपाली नागरिकों को चीन के खिलाफ सेना में उतारना चाहता है।’ बयान में कहा गया है कि गोरखा सैनिकों को भारत द्वारा तैनात किया जाना नेपाल की विदेश नीति के खिलाफ जाएगा। नेपाल एक स्वतंत्र देश है और एक देश की सेना में काम करने वाले युवा का इस्तेमाल दूसरे देश के खिलाफ नहीं किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि भारतीय सेना में गोरखा फौजियों का एक अलग महत्व है। भारत में भी पहाड़ी इलाकों पर ज्यादातर गोरखा जवान ही तैनात रहते हैं। वहीं गोरखा सैनिकों के बारे में यह भी कहा जाता है कि पहाड़ों पर उनसे बेहतर लड़ाई कोई और नहीं लड़ सकता है। भारत ही नहीं ब्रिटेन में भी गोरखा सैनिक वहां की सेना में शामिल हैं। हाल ही में आईएमए, देहरादून ने तीन नेपाली नागरिकों को ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कमिशन दिया है। इस बीच नेपाल सीमा के रास्ते भारत आ रहे गोरखा जवानों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। मेडिकल चेकअप के बाद उन्हें आगे के लिए भेजा गया।